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Mon. Dec 23rd, 2024

5 villages in each development block should be made into model villages – Chief Minister


देहरादून दिनांक 02 अगस्त  2024,,  प0 दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय में स्थित शव विच्छेदन गृह हेतु मोर्चरी कैबिनेट खराब होने की शिकायत का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी श्रीमती सोनिका ने प0 दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय को शव विच्छेदन गृह हेतु मोर्चरी कैबिनेट क्रय करने हेतु तत्काल  02 लाख रू0 की धनराशि जारी करते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी को शीघ्र शव विच्छेदन गृह हेतु मोर्चरी कैबिनेट क्रय करने एवं  सुव्यवस्था बनाए रखने के दिशा- निर्देश दिए।
ज्ञातब्य है कि प0 दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय में शव विच्छेदन गृह हेतु मोर्चरी कैबिनेट बार-बार तकनीकि खराबी के कारण शवों को सुरक्षित रखने हेतु दून मेडिकल कालेज स्थानांतरित करना पड़ता था।

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देहरादून दिनांक 02 अगस्त  2024,  जिलाधिकारी श्रीमती सोनिका की अध्यक्षता में ऋषिपर्णा सभागार में जिला स्तरीय सतर्कता एवं मॉनिटिरिंग समिति की बैठक आयोजित की गई बैठक में माननीय विधायक राजपुर खजान दास एवं माननीय विधायक रायपुर उमेश शर्मा काऊ ने प्रतिभाग किया।
बैठक में अवगत कराया गया कि भारत सरकार की अधिसूचना 1995 के अुनसार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 में वर्णित प्राविधानों के अन्तर्गत जिला स्तरीय सतर्कता एवं मॉनिटिरिंग समिति का गठन किया गया है। उक्त अधिनियम के अन्तर्गत दर्ज प्रकरण वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय से ऐसे प्रकरण जिनमें एस/एसटी एक्ट लगा हो पीड़ितों को आर्थिक सहायता हेतु प्राप्त होते हैं। बताया गया कि वर्ष 2020 से अभी तक 52 प्रकरण प्राप्त हुए हैं, जिनमें सभी का निस्तारण कर लिया गया है।
लोक दृष्टि में आने वाले किसी स्थान पर जाति के नाम से गाली गलौज करना, जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करना मारपीट करना आदि प्रकरणों 1 लाख राशि दिए जाने का प्राविधान है, प्रथम सूचना रिपोर्ट पर 25 प्रतिशत्, न्यायालय को आरोप पत्र भेज दिए जाने पर 50 प्रतिशत् तथा अभियुक्त के दोषसिद्ध किये जाने पर 25 प्रतिशत् भुगतान किये जाने का प्राविधान है।
अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की स्त्री को लैंगिक प्रकृति के कार्य के रूप में हो उसकी सहमति के बिना उसे स्पर्श करना, स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना लैंगिक उत्पीड़न आदि में 2 लाख राहत राशि दिए जाने का प्राविधान है, जिसमें प्रथम सूचना रिपोर्ट पर 50 प्रतिशत्, न्यायालय को आरोप पत्र भेज दिए जाने पर 25 प्रतिशत् न्यायाल द्वारा विचारण के समाप्त होने पर 25 प्रतिशत् भुगतान किये जाने का प्राविधान है।
भारतीय दण्ड  संहिता की धारा 376ग किसी व्यक्ति द्वारा मैथुन, बलात्कार की घटना पर 4 लाख राशि दिए जाने का प्राविधान है, चिकित्सा परीक्षा और पुष्टिकारक चिकित्सा रिपोर्ट के पश्चात 50 प्रतिशत्, न्यायालय को आरोप पत्र भेज दिए जाने पर 25 प्रतिशत् न्यायालय द्वारा विचारण के समाप्ति पर 25 प्रतिशत् भुगतान का प्राविधान है।
बालात्संग या सामूहिक बलात्संग धारा 375 की घटनाओं पर 5 लाख राशि दिए जाने का प्राविधान है, जिसमें चिकित्सा जांच और चिकित्सा पुष्टि रिपोर्ट के पश्चात 50 प्रतिशत्, न्यायालय को आरोप पत्र भेज दिए जाने पर 25 प्रतिशत् न्यायालय द्वारा विचारण के समाप्ति पर 25 प्रतिशत् भुगतान का प्राविधान है।
सामूहिक बलात्संग धारा 376 घ के प्रकरणों पर 8.25 लाख राहत राशि का प्राविधान है, जिसमें चिकित्सा पुष्टि रिपोर्ट के पश्चात 50 प्रतिशत्, न्यायालय को आरोप पत्र भेज दिए जाने पर 25 प्रतिशत् न्यायालय द्वारा विचारण के समाप्ति पर 25 प्रतिशत् भुगतान का प्राविधान है।
हत्या या मृत्यु पर 8.25 लाख राहत राशि दिए जाने का प्राविधान है, शव परीक्षा के पश्चात 50 प्रतिशत्, आरोप पत्र न्यायालय को भेजे जाने पर 50 प्रतिशत्  राहत राशि दिए जाने का प्राविधान है। 
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी सुश्री झरना कमठान, पुलिस अधीक्षक यातायात मुकेश कुमार, प्रभारी जिला समाज कल्याण अधिकारी पुनम चमोली, क्षेत्रीय सेवायोजन अधिकारी अजय सिंह, विद्युत विभाग से बबलू सिंह, सदस्य लारेंस सिंह, सतीश कुमार अनंत प्रकाश मेहरा, एएईएमआई से संदीप कुमार उपस्थित रहे।
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             प्रत्येक विकासखण्ड में 5-5 गांवों को बनाया जाए आदर्श ग्राम -मुख्यमंत्री

*ग्राम चौपालों के आयोजन में उच्चाधिकारी भी हों शामिल।*

*पंचायत भवनों के निर्माण के 10 लाख की धनराशि को बढ़ाकर 20 लाख रूपये किये जाने के मुख्यमंत्री ने दिये निर्देश ।*

*पर्वतीय शैली के आधार पर हो पंचायत भवनों का निर्माण।*

गांवों के सुनियोजित विकास के लिए प्रत्येक विकासखण्ड में 5-5 गांवों को आदर्श ग्राम बनाने की दिशा में कार्य किये जाएं। देश के शीर्ष 100 आदर्श गांवों की श्रेणी में उत्तराखण्ड के 10 गांवों के नाम भी शामिल हों, इसके लिए गावों के समग्र विकास के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य किये जाएं। ग्राम चौपाल के आयोजन में शासन के वरिष्ठ अधिकारियों और जनपदों में जिलाधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया जाए तथा ग्राम पंचायतों के प्रबुद्धजनों के साथ बैठकर गांवों की विकास योजनाओं पर कार्य किया जाए। ग्राम सभाओं के स्थापना दिवस उत्सव के रूप में मनाये जाए, इनमें उन गांवों के प्रवासी लोगों को प्रतिभाग करने के लिए विशेष रूप से प्रतिभागी बनाया जाए। यह बात मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सचिवालय में पंचायतीराज विभाग की समीक्षा के दौरान कही।

मुख्यमंत्री ने बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिये कि मानक तय कर पंचायत भवनों का निर्माण किया जाए। ग्राम पंचायतों में जो भी पंचायत भवन बनाये जा रहे हैं, वे पर्वतीय शैली में बनाये जाय, जिसमें उत्तराखण्ड की विरासत की झलक हो। पंचायत भवनों के लिए उचित स्थलों का चयन किया जाए, ताकि उनका ग्राम पंचायतों में पूर्णतः उपयोग हो सके। पंचायत भवनों के निर्माण के लिए राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत की जा रही 10 लाख की धनराशि को बढ़ाकर 20 लाख रूपये करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये। गांवों में सड़क निर्माण के समय नालियां भी बनाई जाय, ताकि जल निकासी की समस्या न हो। ग्राम पंचायतों में ओपन जिम और पार्कों की व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि सेना और अर्द्धसैन्य बलों के शहीदों के नाम पर उनके गांवों में द्वार, स्कूल और पंचायत भवनों के नाम रखे जाएं और गांवों में शिलापटों पर शहीदों के नाम अंकित करने की व्यवस्था बनाई जाए।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि गांवों के विकास के लिए 15वें वित्त आयोग से राज्य को प्राप्त धनराशि का योजनाबद्ध तरीके से उपयोग किया जाए। स्वच्छता, कूड़ा निस्तारण पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि गांवों के विकास के लिए जो भी योजनाएं बनाई जाए, धरातल पर पहले उसका आंकलन किया जाए। सभी ग्राम पंचायतों में कम्प्यूटर और हाई स्पीड इन्टरनेट कनेक्टिविटी की व्यवस्था की जाए।

कैबिनेट मंत्री श्री सतपाल महाराज ने कहा कि गांवों के विकास के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार को बढ़ावा दिया जाए। ग्राम पंचायतों में हो रहे कार्यों की वरिष्ठ अधिकारी नियमित मॉनिटरिंग करें। उन्होंने सभी पंचायतों की परिसम्पतियों की जी.आई.एस मैपिंग करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि मल्टी-लेवल पार्किंग के निर्माण से पूर्व यह सुनिश्चित किया जाए कि उनका उचित इस्तेमाल और देख-रेख हो। उन्होंने कहा कि 15वें वित्त आयोग से प्राप्त धनराशि से गांवों के विकास के लिए निर्धारित मानकों के हिसाब से तेजी से कार्य किये जाएं।

बैठक में मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव श्री आर. के सुधांशु, सचिव पंचायतीराज श्री चन्द्रेश यादव, अपर सचिव श्री आलोक कुमार पाण्डेय, निदेशक पंचायतीराज सुश्री निधि यादव, निदेशक सेतु डॉ. मनोज पंत उपस्थित थे।आगे पढ़ें


राज्य में निराश्रित गोवंशीय पशुओं को गोद लेने वाले लोगो को एक निश्चित मानदेय देने के योजना की शुरूआत की तैयारिया आरम्भ

गोवंशीय पशुओं की अनिवार्य ईयरटैंगिग, पशुमालिकों की ट्रैकिंग होगी

*राज्य में कुल पंजीकृत 60 गोसदन, 14000 शरणागत गोवंशीय पशु व  20687 निराश्रित पशु*

*गोसदनों के निर्माण में जनपद टिहरी में सबसे बेहतरीन कार्य*

*राज्य की सड़कों पर एक भी निराश्रित पशु न दिखे इसके लिए प्रशासन व आमजन को मिलजुल कर पूरी संवेदनशीलता व मानवीयता से कार्य करना होगा-श्रीमती राधा रतूड़ी, मुख्य सचिव*

राज्य में निराश्रित गोवंशीय पशुओं को गोद लेने वाले लोगो को एक निश्चित मानदेय देने के योजना को जल्द आरम्भ करने की दिशा में मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने  पशुपालन विभाग इस सम्बन्ध में तत्काल गाइडलाइन्स बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य की सड़कों पर एक भी निराश्रित पशु न दिखे इसके लिए प्रशासन व आमजन को मिलजुल कर पूरी संवेदनशीलता व मानवीयता से कार्य करना होगा।  सीएस श्रीमती रतूड़ी ने राज्यभर में गोदसदनों के निर्माण के लिए मिसिंग लिंक के माध्यम से जारी 10 करोड़ की धनराशि को उपयोग करने के लिए पंचायती राज्य विभाग को जल्द से जल्द इस सम्बन्ध में वित्तीय मद खोलने का प्रस्ताव वित्त विभाग को प्रेषित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने गोसदनों व सड़कों में निराश्रित गोवंशीय पशुओं की व्यवस्था व स्थिति की मॉनिटरिंग के लिए एक कमेटी के गठन के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने लोगों व ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालकों द्वारा पाले जाने वाले गोवंशीय पशुओं की अनिवार्य ईयरटैंगिग सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए हैं, ताकि  आवारा व निराश्रित गोवंशीय के मालिकों की टै्रकिंग की जा सके। उन्होंने इस सम्बन्ध में जन जागरूकता बढ़ाने के भी निर्देश दिए हैं। सीएस ने राज्य में निराश्रित गोवंशीय पशुओं के लिए गोसदनों के निर्माण हेतु सीएसआर के माध्यम से भी धन जुटाने के निर्देश दिए हैं।

मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने सचिवालय में राज्य में गोसदनों के निर्माण की प्रगति की समीक्षा की।

बैठक में उत्तराखण्ड पशु कल्याण बोर्ड ने जानकारी दी कि वर्तमान में में राज्य में कुल पंजीकृत 60 गोसदन हैं। पंजीकृत गोसदनों में शरणागत गोवंशीय पशुओं की संख्या लगभग 14000 है। वर्तमान में निराश्रित पशुओं की संख्या 20687 है। जनपद पौड़ी गढ़वाल में सर्वाधिक 5525 निराश्रित गौवंशीय पशु हैं। ऊधमसिंह नगर में 4955, देहरादून में 2050, नैनीताल में 2155 व टिहरी में 2259 निराश्रित पशु हैं। राज्य में सभी जनपदों में 54 स्थानों पर भूमि चिन्हित कर सड़कों पर विचरण कर रहे निराश्रित गोवंशीय पशुओं को शरण दिए जाने हेतु गोसदनों की स्थापना का कार्य किया जा रहा है। इस काय्र को तीव्रता से कराये जाने हेतु 25 स्थानों पर मिसिंग लिंक के माध्यम से 10 करोड़ की धनराशि प्रस्तावित है। गोसदनों के निर्माण में जनपद टिहरी में सबसे बेहतरीन कार्य किए गए हैं।

बैठक में सचिव श्री बीवीआरसी पुरूषोतम, अपर सचिव श्री सी रविशंकर, श्री नितिन सिंह भदौरिया सहित पशुपालन व पंचायती राज विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।

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