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जेल से दो कैदी फरार, तलाश में जुटी पुलिस

जेल से दो कैदी फरार, तलाश में जुटी पुलिस
हरिद्वार। बीती रात जिला कारागार हरिद्वार से दो कैदियों के भागने से हड़कंप मच गया है। उनके भागने का तब पता चला जब रात को कैदियों की गिनती की गयी। दोनों कैदियों के फरार होने से जेल प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं पुलिस दोनों कैदियों की तलाश कर रही है।
इसकी जानकारी देते हुए हरिद्वार जिला कारागार के वरिष्ठ जेल अधीक्षक मनोज कुमार आर्य ने बताया कि वह अवकाश पर थे। उन्होंने बताया कि जिला कारागार में हाई सिक्योरिटी बैरक का निर्माण कार्य चल रहा है। ऐसे में सीड़ी वहां पर रखी रह गई, जिसका फायदा इन दोनों कैदियों ने उठाया और वह जेल से फरार हो गए। फिलहाल मौके पर वरिष्ठ अधिकारी भी पहुंचे हुए हैं और किसकी लापरवाही है इसकी जांच चल रही है। उन्होंने बताया कि रात के समय जब सभी कैदियों को बैरक में बंद किया जाता है, उस समय गिनती की जाती है। गिनती में दो कैदियों की कमी होने का पता चला, जिसके बाद पूरी जेल को खंगाला गया। उसके बाद सीसीटीवी कैमरे को खंगाला गया। इसबीच एक कैदी से पूछताछ में पता चला कि यह दोनों कैदी सीढ़ी लगाकर जेल से फरार हो गए हैं, इसके बाद पुलिस को इसकी सूचना दे दी गई है। पुलिस दोनों को तलाशने में जुटी है। फरार कैदियों के नाम पंकज निवासी रुड़की और राजकुमार निवासी गोंडा उत्तर प्रदेश बताए जा रहे है। पंकज हत्या के मामले में आजीवन कारावास काट रहा था, जबकि राजकुमार विचाराधीन कैदी है।

तीन सौ से ज्यादा कैदी 3 साल से फरार
पैरोल और जमानत पर छोड़ा था वापस नहीं लौटे
देहरादून। तीन साल पहले राज्य की जेल में बंद कैदियों को पैरोल और जमानत पर रिहा तो कर दिया गया लेकिन पैरोल और जमानत पर छोड़े गए यह 300 से भी अधिक कैदी वापस जेल नहीं लौटे। जेल प्रशासन से लेकर जिलों के प्रशासन तक लापरवाही की हद देखिए कि 3 साल तक किसी ने भी इस पर गौर करने की जरूरत नहीं समझी कि यह कैदी क्यों वापस नहीं लौटे हैं और कहां हैं तथा कर क्या रहे हैं।
एक तरफ शासन-प्रशासन द्वारा अपराधियों की धर पकड़ के लिए अभियान चलाए जाते हैं तथा अपराधी किस्म के लोगों पर नजर रखी जाती है अगर वह जेल से बाहर होते हैं तो भी थानों में उनकी नियमित उपस्थिति दर्ज कराई जाती है। वहीं कोरोना काल में 300 से भी अधिक कैदियों को शासन प्रशासन द्वारा पैरोल और जमानत पर रिहा तो कर दिया गया। मगर उनकी जमानत या पैरोल की अवधि समाप्त होने के बाद भी सालों साल इस बात की खबर नहीं ली गई कि वह कहां है और क्यों वापस नहीं आए कहीं वह फिर से अपराधों में सम्मिलित तो नहीं हो चुके हैं।
3 साल का समय गुजरने के बाद अब जेल प्रशासन को यह होश आया है कि यह कैदी वापस क्यों नहीं आए? अब इनका पता लगाने के लिए जिले के अधिकारियों से संपर्क किया जा रहा है कि वह अपने-अपने जिलों के इन फरार कैदियों की तलाश करें। यह अजीब बात है कि जब किसी मुकदमे में आरोपी एक दो तारीख पर भी गैर हाजिर हो जाता है तो कोर्ट से वारंट इशू हो जाते हैं और पुलिस उसे ढूंढती हुई उसके घर और ठिकानों तक पहुंच जाती है मगर 3 साल से फरार चल रहे इन कैदियों को वापस जेल बुलाने में इस तरह की घोर लापरवाही बरती गई है। शासन में बैठे अधिकारियों द्वारा पैरोल पर जाने वालों की संख्या 81 बताई जा रही है लेकिन जमानत पर कुछ कैदियों को छोड़ा गया था। संख्या कम या अधिक हो सकती है लेकिन यह घोर लापरवाही का एक नमूना जरूर है।

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