Breaking
Tue. Apr 15th, 2025

स्वयं पर विश्वास करो, स्वयं की यात्रा शुरू करो, दुश्मन बाहर नहीं है, दुश्मन भीतर है – प्रधानमंत्री मोदी 

प्रधानमंत्री मोदी ‘नवकार महामंत्र दिवस’ कार्यक्रम में हुए शामिल

पीएम मोदी ने ‘नवकार महामंत्र’ का किया जाप 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘नवकार महामंत्र दिवस’ कार्यक्रम में शामिल हुए। पीएम मोदी ने अन्य लोगों के साथ ‘नवकार महामंत्र दिवस’ कार्यक्रम में ‘नवकार महामंत्र’ का जाप किया। इसके बाद उन्होंने लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि नवकार महामंत्र का ये दर्शन विकसित भारत के विजन से जुड़ता है। मैंने लालकिले से कहा है- विकसित भारत यानी विकास भी, विरासत भी। एक ऐसा भारत जो रुकेगा नहीं, ऐसा भारत जो थमेगा नहीं। जो ऊंचाई छुएगा, लेकिन अपनी जड़ों से नहीं कटेगा।

इससे पहले पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं नवकार महामंत्र की इस आध्यात्मिक शक्ति को अब भी अपने भीतर अनुभव कर रहा हूं। कुछ वर्ष पूर्व मैं बंगलूरू में ऐसे ही एक सामुहिक मंत्रोच्चार का साक्षी बना था, आज वही अनुभूति हुई और उतनी ही गहराई में हुई।’ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘…नवकार महामंत्र सिर्फ मंत्र नहीं है। ये हमारी आस्था का केंद्र है। हमारे जीवन का मूल स्वर… और इसका महत्व सिर्फ आध्यात्मिक नहीं है। ये स्वयं से लेकर समाज तक सबको राह दिखाता है, जन से जग तक की यात्रा है। इस मंत्र का प्रत्येक पद ही नहीं, बल्कि प्रत्येक अक्षर अपने आप में मंत्र है।

उन्होंने कहा कि नवकार महामंत्र एक मार्ग है। ऐसा मार्ग जो इंसान को भीतर से शुद्ध करता है, जो इंसान को सौहार्द की राह दिखाता है। नवकार महामंत्र सही मायने में मानव, ध्यान, साधना और आत्मशुद्धि का मंत्र है। हम जानते हैं कि जीवन के 9 तत्व हैं। ये 9 तत्व जीवन को पूर्णता की ओर ले जाते हैं। इसलिए हमारी संस्कृति में नव का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि नवकार महामंत्र कहता है कि स्वयं पर विश्वास करो, स्वयं की यात्रा शुरू करो, दुश्मन बाहर नहीं है, दुश्मन भीतर है। नकारात्मक सोच, अविश्वास, वैमनस्य, स्वार्थ ही वो शत्रु हैं, जिन्हें जीतना ही असली विजय है। यही कारण है कि जैन धर्म हमें बाहरी दुनिया नहीं, बल्कि खुद को जीतने की प्रेरणा देता है।

पीएम मोदी ने कहा कि विकसित भारत अपनी संस्कृति पर करेगा। इसलिए हम अपने तीर्थंकरों की शिक्षाओं को सहेजते हैं। जब भगवान महावीर के 2550वें निर्वाण महोत्सव का समय आया तो हमने देश भर में उसे मनाया। आज जब प्राचीन मूर्तियां विदेश से वापस आती हैं, तो उसमें हमारे तीर्थंकर की प्रतिमाएं भी लौटती हैं। आपको जानकर गर्व होगा कि बीते वर्षों में 20 से ज्यादा तीर्थंकरों की मूर्तियां विदेश से वापस आई हैं।

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *