Breaking
Tue. Apr 15th, 2025

महिला डेयरी विकास परियोजना : महिलाओं के लिये स्वरोजगार की सशक्त राह

आत्मनिर्भरता एवं सशक्तिकरण का मजबूत आधार बन रहा है दूध

दुग्ध उत्पादन में प्रतिवर्ष वृद्धि

पौड़ी। उत्तराखण्ड के पर्वतीय जनपद पौड़ी गढ़वाल में दुग्ध व्यवसाय ने एक नयी पहचान बनायी है। यहाँ के ग्रामीण क्षेत्रों में डेयरी व्यवसाय न केवल आजीविका का मजबूत साधन बना है, बल्कि आर्थिक एवं सामाजिक सशक्तिकरण का भी प्रेरणास्रोत सिद्ध हो रहा है।

राज्य के किसानों को लाभ देने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित अनेक योजनाएं पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा लागू की गई है। बात करते हैं पौड़ी जिले में जहां वित्तीय वर्ष 2023-24 में दुग्ध उपार्जन 3348 लीटर प्रतिदिन था, वहीं वर्ष 2024-25 में 18% की वृद्धि के साथ यह 4074 लीटर प्रतिदिन तक पहुँच गया है। इस सफलता के पीछे सबसे बड़ा कारण समयबद्ध भुगतान व्यवस्था है, जिसमें दुग्ध उत्पादकों को मात्र 15 दिनों के भीतर ही भुगतान किया जाता है। इससे उनकी आय में स्थिरता आयी है और वे अधिक मात्रा में दूध उत्पादन के लिए प्रेरित हुए हैं।

एनसीडीसी (राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम) योजना के अंतर्गत 75% व 50% अनुदान पर उन्नत नस्ल के 36 दुधारू पशुओं की खरीद की गई, जिससे दुग्ध उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। साथ ही पशुओं के लिए अनुदानित दरों पर चारा, भूसा और साइलेज की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। पशुओं की नियमित स्वास्थ्य जांच तथा स्वच्छ दुग्ध उत्पादन के लिए समितियों द्वारा गोष्ठियों का आयोजन भी कराया जाता है। विभाग द्वारा की जा रही सक्रियता से ग्रामीण दुग्ध उत्पादकों के मन में यह विश्वास पनपा है कि सरकार और विभाग हर परिस्थिति में उनके साथ खड़े हैं। यही कारण है कि दुग्ध विपणन में भी निरंतर वृद्धि हो रही है। अपर निदेशक डेयरी ने बताया कि वर्तमान में भारतीय सेना लैंसडाउन, एसएसबी श्रीनगर, नवोदय विद्यालय जागधार, जिला कारागार पौड़ी, जी.बी. पंत घुड़दौड़ी कैंटीन समेत कई संस्थानों में प्रतिदिन लगभग 01 हजार लीटर दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों की आपूर्ति की जा रही है। साथ ही नगरीय क्षेत्र में 1500 लीटर और स्थानीय स्तर पर में 1000 लीटर प्रतिदिन की बिक्री हो रही है। चारधाम यात्रा मार्ग पर स्थापित किए गए 06 आँचल मिल्क कैफे न केवल प्रचार-प्रसार का माध्यम बने हैं, बल्कि इनसे दुग्ध उत्पादकों को नया बाजार भी मिला है।

महिला सशक्तिकरण की मिसाल

पशुपालन एवं डेयरी विभाग ‘महिला डेयरी विकास परियोजना’ के माध्यम से महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। विभाग में इस परियोजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में दुग्ध सहकारिताओं के सुदृढ़ीकरण हेतु महिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों का गठन किया जाता है, जिसमें सदस्य, सचिव व अध्यक्ष केवल महिला ही होती हैं। यदि पौड़ी जनपद की बात की जाए तो वर्तमान में कुल 276 दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियाँ हैं, जिनमें 99 समितियाँ केवल महिलाओं द्वारा संचालित हैं।

प्रमुख आँकड़े (2024-25):

कुल दुग्ध उत्पादक सदस्य: 7182,

दुग्ध उपार्जन: 4074 लीटर प्रतिदिन,

पशु आहार की कुल बिक्री: 219 मैट्रिक टन,

एनसीडीसी योजना से लाभान्वित कुल दुग्ध उत्पादक: 157 (2020 से अब तक),

दुग्ध प्रोत्साहन योजना से लाभान्वित हुए दुग्ध उत्पादक: 987,

पशु आहार के अंतर्गत कृषकों को देय राज सहायता: 06 रुपए प्रति किग्रा,

भूसा भेली पर देय राजकीय सहायता- 50 प्रतिशत,

साइलेज पर देय राजकीय सहायता- 75 प्रतिशत,

एन0सी0डी0सी0 योजना में राजकीय सहायता- महिला/अनु0जा0/अनु0जाति0 75 प्रतिशत व सामान्य जाति हेतु 50 प्रतिशत अनुदान

इस योजना में गुणवत्तापूर्ण दूध देने वाले उत्पादकों को 4 रुपये प्रति लीटर व 3 रुपये प्रति लीटर प्रोत्साहन देय है। वहीं दुग्ध उत्पादकों को दुग्ध प्रोत्साहन हेतु प्रत्येक त्रैमास में गुणवत्तापूर्ण दुग्ध समिति में उपलब्ध कराने हेतु प्रथम स्थान को 2 हजार, द्वितीय को 1 हजार 500 व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले दुग्ध उत्पादकों को 1 हजार रुपये प्रोत्साहन के रूप में दिया जाता है। इसके अलावा पशु चिकित्सा सुविधा एवं पशु औषधि की सुविधा, दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के सदस्यों को निशुल्क उपलब्ध करायी जाती हैं।

अपर निदेशक डेयरी नरेन्द्र लाल….

पौड़ी जनपद का डेयरी विकास मॉडल न केवल उत्तराखण्ड, बल्कि देश के अन्य पर्वतीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भी अनुकरणीय उदाहरण है। सरकार दुग्ध उत्पादन में सुधार, पशुधन के स्वास्थ्य में सुधार, और दुग्ध प्रसंस्करण के लिए अवसंरचना के विकास को बढ़ावा दे रही है। दुग्ध व्यवसाय आत्मनिर्भरता एवं सशक्तिकरण का मजबूत आधार बन सकता है।

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *