रोबोटिक मिशन का है, चंद्रयान-4 के नाम से यह मिशन लांच होगा जिसमें रोवर और लैंडर जाकर चांद से नमूने वापस लाएंगे. इसका दूसरा चरण मानव चंद्र मिशन होगा, जिसमें चांद पर भारत अपने एस्ट्रॉनॉट उतारेगा और अंतिम चरण में चंद्रमा की परिक्रम करने वाला एक स्थायी स्टेशन बनाना है, ताकि एस्ट्रोनॉट 24 घंटे च्रद्रमा पर नजर रख सकें और स्पेस स्टेशन पर रहकर चंद्रमा पर रिसर्च कर सकें.
मानव मंगल मिशन का बेस हो सकता है ये स्पेस स्टेशन
मून स्पेस स्टेशन पर वैज्ञानिक चंद्रमा के बारे में अध्ययन कर सकेंगे. वह चांद पर जीवन की संभावनाओं को तलाश सकेंगे. इसके अलावा यह स्टेशन भविष्य में होने वाले मानव मंगल मिशनों के लिए भी एक बेस साबित होगा. दरअसल अब तक जितने भी मंगल मिशन की तैयारी की जा रही है, उनमें चंद्रमा को एक बेस के तौर पर प्रयोग करने की तैयारी है, ऐसे में भारत अगर मून स्पेस स्टेशन बना लेता है तो यह दुनिया के अन्य देशों और स्पेस एजेंसियों के लिए भी मददगार साबित होगा.
कैसा होता है स्पेस स्टेशन
स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में एक ऐसा स्थान होता है जहां एस्ट्रोनॉट रुकते हैं और रिसर्च करते हैं. यह धरती की ऑर्बिट में है जो लगातार हमारे ग्रह के चक्कर लगाता रहता है. अभी तक दो स्पेस स्टेशन हैं, इनमें इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को 15 देशों ने मिलकर बनाया है, जिसमें अमेरिकन स्पेस एजेंसी NASA के अलावा कनाडा, रूस, यूरोप समेत अन्य देशों की स्पेस एजेंसियां शामिल हैं, जबकि दूसरा स्पेस स्टेशन तियागोंग है जो चीन ने बनाया है. इन दोनों ही स्पेस स्टेशन पर लगातार एस्ट्रोनॉट रहते हैं और स्पेस के बारे में विभिन्न रिसर्च करते हैं. एक बार जाने पर एस्ट्रोनॉट को कम से कम 6 माह तक वहां रहना होता है, इसके बाद दूसरा एस्ट्रोनॉट वहां जाकर जब उसे रिप्लेस करता है, तभी वह धरती पर लौट सकता है।
पीएम मोदी दे चुके हैं संकेत
चंद्रयान-3 को चंद्रमा के साउथ पोल पर उतारकर भारत दुनिया का पहला देश बन गया था. इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने इसरो की तारीफ करते हुए कहा था कि स्पेस एजेंसी को नए और महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए. इसमें मानव युक्त चंद्रमा मिशन और चांद पर भारतीय एस्ट्रॉनॉट को पहुंचाने की बात शामिल थी. इसके अलावा भारत सरकार की ओर से स्पेस डॉकिंग तकनीक के लिए भी बजट का प्रावधान किया गया है, इस तकनीक को स्पेस स्टेशन में प्रयोग किया जाता है.
NASA दे रहा भारतीय एस्ट्रोनॉट को ट्रेनिंग
इसरो ने अपने गगनयान मिशन के लिए चार एस्ट्रॉनॉट एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप, विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला को चुन लिया है. इन सभी को NASA प्रशिक्षण दे रहा है. इसके लिए भारत और अमेरिक के बीच पहले ही करार हो चुका है. चंद्रयान-3 के समय ही व्हाइट हाउस की ओर से जारी किए गए बयान में इसकी पुष्टि की गई थी. बताया तो यहां तक जा रहा है कि इस साल के अंत तक भारत के दो एस्ट्रोनॉट को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर भी भेजा जा सकता है.