Breaking
Sun. Feb 23rd, 2025

नैनीताल हाई कोर्ट ने छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने का दिया आदेश 

देहरादून। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के प्रावधान लागू होने के साथ जगह-जगह किए जा रहे विरोध के बीच प्रकरण नैनीताल हाई कोर्ट में पहुंच गया।  नैनीताल हाई कोर्ट ने उत्तराखंड में प्रभावी समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के प्रविधानों की चुनौती देती जनहित याचिकाओं पर केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया हैं। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से वर्चुअली पेश भारत सरकार के सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इन याचिकाओं को निर्रथक बताते हुए तर्क दिया कि सरकार ने नैतिक आधार पर यह कानून बनाया है। विधायिका को कानून बनाने का अधिकार है। लिव इन रिलेशनशिप में पंजीकरण से महिलाओं पर अत्याचार में कमी आएगी। मामले में अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद नियत की गई है।

बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति नरेंद्र व न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ में देहरादून निवासी अल्मशुद्दीन सिद्दीकी, हरिद्वार निवासी इकरा तथा भीमताल नैनीताल निवासी सुरेश सिंह नेगी की अलग अलग जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हुई। जिसमें मुस्लिम समुदाय से संबंधित विवाह, तलाक, इद्दत और विरासत के संबंध में समान नागरिक संहिता 2024 के प्रविधानों को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं के वकील कार्तिकेय हरि गुप्ता ने खंडपीठ के समक्ष दलील दी कि कुरान और उसकी आयतों में निर्धारित नियम हर मुसलमान के लिए एक आवश्यक धार्मिक प्रथा हैं।

समान नागरिक संहिता धार्मिक मामलों के लिए प्रक्रिया निर्धारित करता है, जो कुरान की आयतों के विपरीत है। समान नागरिक संहिता भारत के संविधान के अनुच्छेद-25 का उल्लंघन करती है। जिसमें धर्म के पालन और मानने की स्वतंत्रता की गारंटी मिली है। समान नागरिक सहिंता की धारा-390 मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के विवाह, तलाक, विरासत के संबंध में रीति-रिवाजों और प्रथाओं को निरस्त करती है।

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *