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Vinoba’s thought process: Sunrise of Gram Swarajya means reaching of rays to every home – Nirmala Deshpande

विनोबा विचार प्रवाह ग्रामस्वराज्य का सूर्योदय यानी हर घर में किरण का पहुंचना_ निर्मला देशपांडे

बाबा की भूदान यात्रा के समय बिहार के समस्तीपुर अनुमंडल के मुखियों सरपंचों की यह सभा जिम्मेदार लोगों की है।

क्योंकि इन्हीं पर सारा देश खड़ा है। किंतु इन सबको इंगित करते हुए कहा कि हमें लगता नहीं है कि देश आप लोगों के आधार पर खड़ा है।बल्कि ,उल्टा ऐसा भास होता है। कि दिल्ली के आधार पर देश खड़ा है। वे लोग समझते है कि दिल्ली के आधार पर पटना, पटने के आधार पर दरभंगा और दरभंगे के आधार पर ये पंचायतें हैं और पंचायतों के आधार पर लोग हैं।यह बिलकुल उल्टी कल्पना है।वास्तव में स्थिति यह है कि लोगों के आधार पर पंचायत,पंचायतों के आधार पर दरभंगा, दरभंगे के आधार पर पटना,पटने के आधार पर दिल्ली है। बाबा विनोबा ने बताया कि अपना चार_ पांच तल्लेवाला मकान है। इसका सबसे नीचेवाला तल्ला जनता है और सबसे ऊंचेवाला तल्ला दिल्ली।मान लीजिए, ऊपर का तल्ला _ दिल्ली_ मजबूत रहा,लेकिन नीचे का तल्ला अगर कमजोर रहा,तो वह तो गिरेगा ही,ऊपर का भी सारा का सारा गिरेगा। यह अच्छी तरह समझने की जरूरत है कि देहात को जितना दिल्ली का आधार है,उससे ज्यादा देहात का आधार दिल्ली को मिलता है। वह मिलेगा तभी दिल्ली टिकेगी,नहीं तो वह टिकनेवाली नहीं। नीचे से अगर दिल्ली को आधार नहीं मिलेगा,तो दिल्ली बिल्ली बन जायेगी।उसमें कोई ताकत नहीं रहेगी। तिलक जी ने मंत्र दिया कि स्वराज्य हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और हम लेकर रहेंगे। उसके बाद गांधी जी आए उन्होंने उसके लिए कार्यक्रम दिया। इस तरह तिलक का मंत्र और गांधी जी का तंत्र, दोनों मिलकर स्वराज्य खड़ा हो गया। अब इतने साल के अनुभव के बाद ध्यान में आया कि स्वराज्य दिल्ली में तो आया।लंदन में था उसके बदले दिल्ली में राज आ गया।पहले लंदन में फैसला होता था,उसके बदले अब आखिरी फैसला दिल्ली में होता है। तो स्वराज्य लंदन से दिल्ली पहुंच गया।इसका नाम भारतीय स्वराज्य है। बाबा विनोबा कहते थे कि अब हम सब एक नया मंत्र लेकर इकट्ठे हुए हैं ,वह कौन सा मंत्र है? पहले का मंत्र था, ग्राम स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।अब यह नया मंत्र आ गया_ ग्राम स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और इसे हम लेकर रहेंगे। यह नया मंत्र समाज में अभी काम कर रहा है। वह देश के सामने खड़ा हो गया है। बाबा विनोबा ने फिर समझाते हुए कहा कि मान लीजिए दिल्ली में सूर्योदय हो गया और वहां से आपके गांव में तार आ गया कि वहां सूर्योदय हो गया।आप कहेंगे कि भाई, सूर्योदय जब तक हमारे गांव में नहीं होता,तब तक दिल्ली का सूर्योदय हमारे किस काम का है? इसलिए सूर्योदय तो तब मानेंगे,जब हमारे गांव में हर घर के सामने सूर्यनारायण खड़े हों और उनकी किरणें प्रत्येक घर में प्रवेश करें। ठीक उसी प्रकार से हमको समझना चाहिए कि स्वराज्य का अनुभव गांव_गांव को हो। गांव को लगे कि हमारे गांव में स्वराज्य है।पर इसकी क्या पहचान है ?.हमने पहचान यह निकाली कि देश के अंदर का झगड़ा दिल्ली के बाहर नहीं जाता, लंदन नहीं जाता, यह देश आजाद हुआ इसका चिन्ह है, निशानी है। गांव आजाद हुआ, गांव में स्वराज्य हुआ,इसकी क्या निशानी होगी? यही कि गांव का कोई भी झगड़ा गांव के बाहर नहीं जाना चाहिए।गांव में सब लोग इक्ट्ठा हो करके अपने जो भी झगड़े होंगें,उन
का फैसला खुद करना शुरू कर दें।यही ग्राम स्वराज्य की असली पहचान है।

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