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Mon. Dec 23rd, 2024

Tehri Lake is becoming the new attraction center of Destination Uttarakhand, get ready for another wonderful event.

देश में प्रथम प्रेस महा कुम्भ हरिद्वार  6 जनवरी 2024 मे आने वाले साथियों का हार्दिक स्वागत करते हैं-संयोजक जीतमणि पैन्यूली

य़ह महा कुम्भ  हमेशा याद रहेगा  आपको आने वाली पीढ़ी हमेशा याद करते रहेगी ,अवसर को हाथ से न जाने दें


卐ॐ देश में प्रथम प्रेस महा मे आने वाले साथियों का हार्दिक स्वागत करते हैं।प्रेस की समस्याओं को लेकर देश के पत्रकारों का महा कुम्भ हरिद्वार 06 जनवरी 2024 को पंत द्वीप के मैदान में आयोजित होने जा रहा है।य़ह आयोजित होने वाले समागम पत्रकारों की अपनी मांगों के साथ-साथ आपनी खोई हुई प्रतिष्ठा से उभारने के लिए ,आय बढ़ाने में मदद करेगा, कम समय में सभी प्रेस से जुड़े लोगों से बातचीत करने के लिए जुनून पैदा करने के लिए आप आगे आएं और अपने और अपने जिला, प्रदेश के पत्रकार साथियों के मोबाइल no Whatsap no हमे 7983825336 या ईमेल pahadonkigoonj@gmail.com पर भेजे, ताकि महा कुम्भ में आने के लिए आपको निमन्त्रण कार्ड समय से आपके राज्य की राजधानी में,दिया जा सके ।अबतक इस पुण्य कार्यक्रम के आयोजन में आय व्यय की जानकारी प्रत्येक राज्य के पत्रकार वार्ता में दी जाएगी।य़ह पहला पारदर्शिता के साथ होने वाला महानायक कार्यक्रम होगा। आप सौभाग्यशाली है कि आपके उपस्थित संयोग में आने वाली पीढ़ी के लिए यादगार बनाने का प्रयास किया जा रहा है। कार्यक्रम की सफलता के लिए अर्थिक सहयोगात्मक आप paytam no 9456334283

Jeetamani a/c No, 705010110007648,IFSCode:BKID0007050,Bank of India Dehradun. 卐ॐ। संयोजक के नाम से भेजने की कृपा कीजिएगा

*LIVE: नैनीताल में पार्वती प्रेमा जगाती सरस्वती विहार सीनियर सेकेण्ड्री स्कूल का वार्षिकोत्सव कार्यक्रम*

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 मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नेपाल में आए भूकम्प से हताहत हुए लोगों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने दिवंगत आत्माओं की शांति और शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि संकट की इस घड़ी में उत्तराखंड सरकार एवं उत्तराखंड की जनता नेपाल के साथ खड़ी है।

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हमारे सर्वांगीण विकास और एक श्रेष्ठ समाज के निर्माण में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण तत्व-मुख्यमंत्री
*समय बहुमूल्य है इसकी महत्ता को सभी को समझना होगा*

*हमारे छात्र देश का भविष्य। देष व प्रदेश को आगे ले जाने की जिम्मेदारी उनके कन्धों पर*

*हमारी सरकार उत्तराखण्ड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिये अपने ’’विकल्प रहित संकल्प’’ को पूर्ण करने हेतु प्रतिबद्ध*

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को नैनीताल स्थित प्रेमा जगाती सरस्वती विहार विद्यालय के वार्षिकोत्सव में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने छात्रों को सम्बोधित करते हुये कहा कि हमारी संस्कृति में शिक्षा ग्रहण करने का अर्थ केवल किताबी ज्ञान अर्जित करने तक सीमित नहीं है, यह एक ऐसी यात्रा है जिसमें हम स्वयं की और अपने अस्तित्व की खोज करते हैं। एक व्यक्ति के रूप में हमारे सर्वांगीण विकास और एक श्रेष्ठ समाज के निर्माण में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। एक व्यक्ति बचपन में जिस प्रकार की शिक्षा और संस्कार प्राप्त करता है उसी से उसका चरित्र निर्माण होता है।

उन्होंन विद्यार्थियों से कहा कि किताबी ज्ञान तक सीमित ना रहें स्वयं के अस्तित्व की खोज कर आपने जीवन को सफल बनायें। उन्होंने कहा बचपन के संस्कार सम्पूर्ण जीवन में काम आते है इसलिए हमें बच्चों को बचपन से ही संस्कारवान शिक्षा प्रदान कर भविष्य के निर्माण के लिए कार्य करना होगा। उन्होंने विद्यार्थियों से जीवन का लक्ष्य तय करते हुए पूर्ण मनोयोग, ईमानदारी,कर्तव्य निष्ठा से कार्य करने को कहा। यही मूल मंत्र जीवन को सफल बनाएगा।

मुख्यमंत्री ने स्वामी विवेकानन्द को याद करते हुए कहा कि उन्होंन कहा था कि प्रत्येक मनुष्य में अनंत ऊर्जा शक्ति का भण्डार है उसे सिर्फ जानने व दिशा देने की जरूरत है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि जीवन में कभी कोई परेशानी आती है तो उसे सकारात्मक सोच के साथ समस्या का समाधान करें। उन्होंने बच्चों से कहा कि यह शिक्षा का कालखण्ड दोबारा आपके जीवन में कभी नहीं आयेगा, समय बहुमूल्य है इसकी महत्ता को सभी को समझना होगा, एक-एक पल जीवन के लिए उपयोगी है अगर हम समय को समझ लेते हैं तो अपने जीवन के साथ ही देश व प्रदेश नाम रोशन कर सकते है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है, गुरुकुलों की भूमि है, यहां ऐसे ऋषि- मुनि हुए जिन्होंने सनातन ग्रंथो की रचना की। वीरभट्टी की इस महान धरती पर पढ़ने वाले आप सभी विद्यार्थी भी ऋषि संतानें हैं और अवश्य ही आप लोग अपना,अपने परिवार का और अपने प्रदेश का नाम रोशन करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे छात्र देश का भविष्य है। देष व प्रदेश को आगे ले जाने की जिम्मेदारी उनके कन्धों पर है।

  1. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज नए भारत का निर्माण हो रहा है, जिसके अंतर्गत देश में अभूतपूर्व रूप से नित- नए कार्य किए जा रहे हैं। वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री जी द्वारा वर्तमान समय के अनुसार बनाई गई नई शिक्षा नीति को हमारे सम्मुख रखा गया। नई शिक्षा नीति से स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा को नए आयाम प्राप्त होंगे, इससे सभी वर्ग के लोगों को समानता के आधार पर शिक्षा प्राप्त करने के अवसर भी मिलेंगे। स्कूली स्तर पर ’’कौशल विकास’’ से ’’युवा कुशलता’’ के साथ कार्य करने में सक्षम होंगे। साथ ही इससे शोध एवम् अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा। देश को विकसित राष्ट्र बनाने के प्रधानमंत्री जी के लक्ष्य को पूर्ण करने में नई शिक्षा नीति अवश्य ही कारगर साबित होगी। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है कि अमृत काल में भारत को विश्व की तीसरी बडी इकानोमी बनाना है। इसके लिए सभी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी तभी हम सफल होंगे। उन्होंने कहा कोरोनाकाल में देश के प्रधानमंत्री ने अभिभावक की तरह देश व विश्व में कार्य किया। अपने देश में कोरोना वैक्सीन देने के साथ ही विश्व में कोरोना वैक्सीन देने का कार्य किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड स्कूली शिक्षा में नई शिक्षा नीति लागू करने वाला पहला राज्य है। हमारी सरकार उत्तराखण्ड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के अपने ’’विकल्प रहित संकल्प’’ को पूर्ण करने हेतु प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विद्यालय के इस गरिमामय समारोह में आकर वे अभिभूत हैं। यहां आकर उनकी छात्र जीवन की स्मृतियां जीवंत हो गयी। विद्यालय अत्यंत ही कठिन परिस्थितियों में स्थापित हुआ परंतु आज ये विद्यालय एक विशाल वट वृक्ष का रूप ले चुका है। जगाती परिवार ने इस शिक्षण संस्थान के लिए अपनी भूमि दान कर जो शिक्षा सेवा का पुण्य कमाया है, उसके लिए जगाती परिवार बधाई का पात्र है।

पार्वती प्रेमा जगाती सरस्वती विहार स्कूल के 36 वें वार्षिकोत्सव समारोह में मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने बच्चों, अभिभावकों एवं शिक्षकों को बधाई दी। उन्हांेने कहा इस विद्यालय के विद्यार्थी आज इंजीनियर,कारोबारी, प्रशासनिक अधिकारी व राजनीतिज्ञ बनकर अपनी बुलंदियों को छू रहे हैं। विद्यालय परिवार द्वारा इस स्थान पर एक विश्वविद्यालय बनाए जाने का संकल्प लिया है। उनका संकल्प अवश्य पूर्ण होगा, इस संबंध में राज्य सरकार के स्तर पर जो भी सहयोग होगा वह किया जायेगा। भूमि चिन्हिकरण कार्य के लिए पूर्ण प्रयास कर परिकल्पना को साकार किया जाएगा। उन्हांेने कहा कि विद्यालय की सडक मार्ग को दुरूस्त करने का कार्य लोनिवि द्वारा किया जा रहा है। उन्होंन विद्युत विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि विद्यालय मंें विद्युत की जो भी समस्या हो उसे दुरूस्त करना सुनिश्चित किया जाये।

इस अवसर पर केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि इस विद्यालय से पढ़कर विद्यार्थी देश के विभिन्न क्षेत्रों में सेना, प्रशासन व आदि स्थानों पर कमान संभाल रहे है। उन्होंने अध्ययनरत विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य और गुरुजनों का हृदय से आभार व्यक्त किया।

महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल एवम पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि सरस्वती विद्या मंदिर के प्राचार्य और गुरुजनों की मेहनत से यहाँ के विद्यार्थियों ने देश के विविध क्षेत्रों में अपनी सुगंध फैलाई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मूल मंत्र विद्या भारती से लिए गया है। इस शिक्षा नीति से विद्या भारती ही नहीं अपितु देश के समस्त सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों को इंडिया से भारत बनने की संकल्पना को पूरा किया जाएगा। नई शिक्षा नीति में शिक्षा के साथ ही व्यवसायिक विषयों पर जोर दिया गया है। इससे देश को कौशल युक्त उच्च कोटि के मानव संसाधन मिलेंगे जो राष्ट्र को विश्व गुरु बनने में पूर्ण सहयोगी बनेंगे। उन्होंने युवा पीढ़ी के सर्वागींण विकास के लिए आध्यात्मिक इंटेलिजेंस से जोड़ने की बात पर जोर दिया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री द्वारा विद्यालय के 12वी के तीन और 10वी के 15 मेधावियों को पुरस्कृत किया।

विद्यालय के प्राचार्य डॉ सूर्या प्रकाश ने विद्यालय की आगमी वार्षिक कार्ययोजना के साथ ही विद्यालय की सम्पूर्ण गतिविधियों, उपलब्धियों की जानकारी दी। वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में शिव तांडव, हनुमान, गणेश वंदना नृत्य और नाटक सिक्का बदल गया मुख्य आकर्षण का केंद्र रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ माधव प्रसाद के साथ ही विद्यार्थी रक्षित कर्नाटक और कृष्णा त्यागी ने किया।

कार्यक्रम में विद्यालय के संरक्षक कामेश्वर प्रसाद काला,विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष प्रो के पी सिंह, प्रबंधक श्याम अग्रवाल, कोषाध्यक्ष विपिन अग्रवाल, क्षेत्रीय संगठन मंत्री डोमेश्वर साहू, राष्ट्रीय मंत्री किशन वीर, विधायक नैनीताल सरिता आर्या, भीमताल राम सिंह कैड़ा, लालकुआ डॉ मोहन सिंह बिष्ट, कपकोट सुरेश गढ़िया, मंडी अध्यक्ष डॉ अनिल कपूर डब्बू, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य एवम अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष सुरेश भट्ट, जिलाधिकारी वंदना सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पी एन मीणा, सीडीओ डॉ संदीप तिवारी, अपर जिलाधिकारी शिव चरण द्विवेदी सहित विद्यालय के गुरुजन और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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 डेस्टिनेशन उत्तराखंड का नया आकर्षण केंद्र बनती टिहरी झील, तैयार हो जाईये एक और शानदार आयोजन के लिए

-टिहरी झील में आगामी 24 नवंबर से शुरू होने जा रहा टिहरी अंतरराष्ट्रीय एक्रो फेस्टिवल

-पर्यटन को नई बुलंदियों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है उत्तराखंड की धामी सरकार

देहरादून। उत्तराखंड के पर्यटन मानचित्र में टिहरी झील सबसे तेजी से उभरता हुआ नया स्थल है। एडवेंचर टूरिज्म के शौकीनों के लिए यह स्थान हॉट फेवरेट साबित हो रहा है। यही वजह है कि डेस्टिनेशन उत्तराखंड के अंतर्गत राज्य की धामी सरकार द्वारा यहां नियमित रूप से विभिन्न आयोजन किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब टिहरी झील में 24 से 28 नवंबर तक अंतरराष्ट्रीय टिहरी एक्रो फेस्टिवल 2023 का आयोजन होने जा रहा है।
उत्तराखंड में साहसिक खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि डेस्टिनेशन उत्तराखंड को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए राज्य सरकार पूरी तन्मयता के साथ कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को साहसिक पर्यटन के खेलों के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा नित नए आयोजन किये जा रहे हैं। टिहरी झील में आयोजित होने वाला अंतरराष्ट्रीय एक्रो फेस्टिवल इस दिशा में नए आयाम स्थापित करेगा।

देश-विदेश के 135 पायलट करेंगे भागीदारी

नवंबर में, राज्य टिहरी झील में पहली बार अंतरराष्ट्रीय एक्रो फेस्टिवल 2023 की मेजबानी करने जा रहा है। टिहरी एक्रो फेस्टिवल 2023, 24 नवंबर को शुरू होगा और 28 नवंबर को समाप्त होगा। इस रोमांचकारी इवेंट में प्रतिस्पर्धा करने के लिए 35 अंतर्राष्ट्रीय पायलट और 100 भारतीय पायलट भाग लेंगे। इस आयोजन में एक्रो फ्लाइंग, सिंक्रो फ्लाइंग, विंग सूट फ्लाइंग, डी-बैगिंग जैसे कई साहसिक कार्य देखने को मिलेंगे।
टिहरी के जिला पर्यटन अधिकारी अतुल भंडारी ने बताया कि टिहरी झील में पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर का आयोजन होने जा रहा है, जिसमें देश-विदेश से खिलाड़ी प्रतिभाग करेंगे। उन्होंने बताया कि आयोजन के दौरान यूफोरिया, पांडवास जैसे नामी बैंड भी शाम के समय अपनी प्रस्तुति देंगे।

इंस्टाग्राम पर उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद ने वीडियो शेयर करते हुए ये लिखा…

लुभावने टिहरी एक्रो फेस्टिवल का अनुभव करें, जिसमें 150 से अधिक विस्मयकारी हवाई कलाबाज़ों का जमावड़ा है, जो 24-28 नवंबर, 2023 तक होने वाला है। मंत्रमुग्ध होने के लिए तैयार रहें क्योंकि ये प्रतिभाशाली कलाकार अपने उल्लेखनीय कौशल, ताकत और कलात्मक चालाकी का प्रदर्शन करेंगे। यह असाधारण घटना एक अविस्मरणीय माहौल का वादा करती है जो आपको पूरी तरह मंत्रमुग्ध कर देगी। इस सनसनीखेज अवसर को हाथ से न जाने दें – अपने कैलेंडर पर निशान लगाएं और इस अविस्मरणीय उत्सव का हिस्सा बनें।

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मुख्यमंत्री ने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं0 धीरेन्द्र शास्त्री को बताया सनातन संस्कृति का संरक्षक

*परेड ग्राउण्ड में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने पीठाधीश्वर पं0 धीरेन्द्र शास्त्री से लिया आशीर्वाद*

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को परेड ग्राउण्ड में आयोजित कार्यक्रम बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेन्द्र शास्त्री के कार्यक्रम में शामिल हुये। उन्होंने पं0 धीरेन्द्र शास्त्री से आशीर्वाद प्राप्त कर उन्हे सनातन संस्कृति का संरक्षक बताया। वे हमारी सनातन संस्कृति के संरक्षक के रूप में भारत की सही पहचान को भावी पीढी तक पहुंचाने का दायित्व निर्वहन कर रहे है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने ठीक ही लिखा है कि बिनु सत्संग विवेक न होई, रामकृपा बिनु सुलभ न सोई। अथार्तः सत्संग के बिना विवेक नहीं होता और श्री रामजी की कृपा के बिना सत्संग सहज नहीं मिलता। ठीक उसी प्रकार संपूर्ण विश्व को ज्ञान, दर्शन, आध्यात्म और संस्कृति से परिचित कराने वाले पूजनीय धीरेंद्र शास्त्री जी के माध्यम से आज उन्हें इस दिव्य दरबार में बालाजी महाराज के प्रति अपनी आस्था को साझा करने का एक अप्रतिम अवसर प्राप्त हुआ है। ऐसे पावन दरबार में हाजिरी लगाने का सौभाग्य विरले लोगों को ही प्राप्त होता है और इसमें भी यदि महाराज श्री का आशीर्वाद मिले तो इसका आशीष कई गुना बढ़ जाता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इतनी कम आयु में बजरंग बली ने महाराज जी पर कृपा की यह किसी दैवीय चमत्कार से कम नहीं है। महाराज जी के पास हमेशा बजरंगबली की प्रतिमा होती है, यह इस बात का प्रमाण है कि जिसके पास भगवान श्रीराम की भक्ति की शक्ति होगी उस पर हमेशा बजरंगबली का आशीर्वाद रहेगा।

उन्होंने कहा कि हनुमान जी चिरंजीवी हैं और जहां भी उनका दिव्य दरबार लगता है वहां हनुमान जी का वास स्वतः ही हो जाता है। आज दुनियाभर में दिव्य दरबार लगाकर महाराज जी, भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार कर रहे हैं और भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए सभी से एकजुट होने का आह्वान करते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए एकजुट होना ही होगा और इसका अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करना होगा जिससे आने वाली पीढ़ी सनातनी मूल्यों से परिचित हो सके। आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अभूतपूर्व रूप से सनातन संस्कृति का परचम पुनः संपूर्ण विश्व में लहरा रहा है। हमारी आस्था के केन्द्रों का इतिहास और महत्व उसी गौरव के साथ प्रदर्शित किया जा रहा है, जिसके साथ इसे किया जाना चाहिए था। अयोध्या में भगवान श्री राम का भव्य मंदिर बन कर तैयार होने वाला है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री  मोदी जी के नेतृत्व में यह स्वर्णिम कालखंड भारत की सांस्कृतिक-आध्यात्मिक चेतना के पुनरोत्थान का कालखंड है। आज भारत पुनः विश्वगुरु के पद पर आरूढ़ होकर समूचे विश्व का मार्गदर्शन करने के लिये तत्पर है। आज प्रधानमंत्री जी, के महान विचारों पर चलकर ही उत्तराखण्ड विकास की राह पर अग्रसर है मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के मार्गदर्शन में शीघ्र ही हम उत्तराखंड को भारत का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के अपने विकल्प रहित संकल्प को पूर्ण करने में सभी के सहयोग से अवश्य सफल होंगे।

इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पं0 धीरेन्द्र शास्त्री का मुख्यमंत्री आवास आगमन पर उनका स्वागत कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।

उत्तराखंड के कलाकारों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेजाना हमारा कर्त्तव्य – आर के सिंह

विरासत में गढ़वाल के पांडव लोक रंगमंच ने चक्रव्यूह प्रस्तुत किया

विरासत में सुमीत आनंद द्वारा ध्रुपद प्रस्तुत किया गया

विरासत में पं. साजन मिश्रा और पं. स्वरांश मिश्रा द्वारा हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत प्रस्तुत किया गया

देहरादून- 04 नवंबर 2023- शनिवार को विरासत आर्ट एंड हेरिटेज फेस्टिवल 2023 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। प्रेस कॉन्फ्रेंस में विरासत के संस्थापक और महासचिव श्री आरके सिंह, श्री एचके अवल, ताज ऋषिकेश के कार्यकारी शेफ श्री राकेश राणा और विरासत की मीडिया प्रभारी श्रीमती प्रियंवदा अय्यर सहित सभी वरिष्ठ सदस्य मौजूद रहे। प्रेस वार्ता की शुरुआत श्री आर.के. सिंह के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने मीडियाकर्मियों को धन्यवाद दिया कि उनकी मदद और योगदान के बिना विरासत को वह सफलता और प्रशंसा नहीं मिल पाती जो उसे मिल रही है। उन्होंने सांस्कृतिक कार्यक्रम के मकसद के बारे में बात की और कहा ’यह आयोजन विरासत को संरक्षित करने और संस्कृति के प्रसार के लिए आयोजित किया जाता है ताकि लोग पर्यटन के लिए रूस और दक्षिण अफ्रीका जैसे विभिन्न देशों से आ सकें। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि इस बार लोग दिन के समय भी आ रहे हैं और स्टालों का अवलोकन कर रहे हैं।

उन्होंने प्रदर्शन करने वाले कलाकारों के बारे में बताया कि वे ए$$ श्रेणी के हैं। उन्होंने डॉ. पुरोहित की प्रशंसा की जिन्होंने चक्रव्यूह के सभी संवादों को, जो कि गढ़वाल, उत्तराखंड के पांडव लोक रंगमंच द्वारा महाभारत का चित्रण है, गढ़वाली में बदल दिया।

उन्होंने कहा कि हर साल दर्शकों की संख्या बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुमाऊंनी संस्कृति की प्रस्तुति की जा रही है और वह विरासत को एक अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बनाने और अर्थव्यवस्था में अपना योगदान देने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। विरासत उत्कृष्टता के मानक स्थापित करने के लिए आयोजित की जाती है।

उन्होंने लोगों द्वारा बाजरा और अन्य स्ट्रीट फूड से बने खाद्य पदार्थों की प्रशंसा करने की बात कही। उन्होंने इस कार्यक्रम को स्वर्गीय श्री सुरजीत किशन की स्मृति को समर्पित किया, जो विरासत के उपाध्यक्ष थे। उन्होंने सभी संगठनों को जोड़ने के अपने लक्ष्य पर जोर दिया ताकि वे एक साथ काम कर सकें। प्रेस कॉन्फ्रेंस में अन्य सदस्य शामिल थे अरुण नैनवाल प्रबंधक, ताज आनंद काशी के महाप्रबंधक निवेदन कुकरेती, शेफ जीतेन्द्र उपाध्याय और शेफ अश्विन, ताज पीलीभीत के विकास नगर होटल मैनेजर और ताज कॉर्बेट से शेफ हरीश।

आज के सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभांरंभ मुख्य अतिथि श्री ए.के.वहल, रीच के ट्रस्टी, रीच विरासत के महासचिव श्री आर.के.सिंह एवं अन्य सदस्यों ने दीप प्रज्वलन के साथ किया।

विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2023 के नौवे दिन के सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरूआत चक्रव्यूह के मचन से हुआ जिसमें गढ़वाल, उत्तराखंड के पांडव लोक रंगमंच ने विरासत मे चक्रव्यूह प्रस्तुत किया जो महाभारत का एक चित्रण है। उनकी टीम डॉ. पुरोहित द्वारा लाए गए थे जो नाटक के मुख्य लेखक हैं। नाटक के निर्देशक श्री अभिषेक बहुगुणा है ने किया। डॉ. संजय पांडे, गोकर्ण बमराडा, मनीष खल्ली, शैलेन्द्र मेठानी, श्रीमती रेखा और श्रीमती बबीता सहित पूरी टीम ने सहयोग दिया। ढोल-दमाऊ को अखिलेश और उनके साथियों ने बजाया और हुड़का को आरसी जोयाल ने बजाया।

धार्मिक मान्यताओं ने गढ़वाल क्षेत्र की संस्कृति और परंपराओं को गढ़ा हैं और गढ़वाल की ऐसी ही एक अमूल्य सांस्कृतिक विरासत है पांडव नृत्य, जिसे पांडव लीला के नाम से भी जाना जाता है। यह विस्तृत धार्मिक नृत्य और नाट्य प्रदर्शन कर विभिन्न बस्तियों में मनाया जाता है, जिनमें से अधिकांश रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों की मंदाकिनी और अलकनंदा घाटियों में बसे हैं। जब कड़ाके की सर्दी उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों को अपनी चपेट में ले लेती है, तो गढ़वाल के कई छोटे-छोटे गांवों के निवासी पांडव नृत्य का अभ्यास करके खुद को सक्रिय रखते हैं।

यह औपचारिक नृत्य पांडवों की यात्रा के उपलक्ष्य में और उत्तराखंड के घरों और गांवों में खुशियाँ लाने के लिए किया जाता है। भक्ति भावना पर आधारित यहां की संस्कृति पौराणिक और ऐतिहासिक रूप से एक विशेष स्थान रखती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि धर्म और अधर्म के बीच अंतर पहचानने वाले मनु के सभी पुत्र इस संस्कृति को जीवित रखने का संकल्प लेते हैं। पांडव नृत्य पांडव भाइयों की कहानी बताता है, जो उनके जन्म से लेकर स्वर्गारोहिणी यात्रा- ’स्वर्ग की यात्रा’ शुरू करने तक की है। उनकी यात्रा के विविध तत्व ढोल की थाप पर आयोजित इस अनुष्ठान नृत्य में शामिल हैं। उत्तराखंड की पांडव लीला में महाभारत के ’धर्म युद्ध’ को दोहराया गया यह 10-12 दिवसीय नृत्य नाटिका कीचक वध (कीचक का वध), नारायण विवाह (भगवान विष्णु का विवाह), चक्रव्यूह (गुरु द्रोण द्वारा डिजाइन की गई एक सैन्य रणनीति), गेंदा वध (डमी गैंडे की बलि) जैसे विभिन्न कथानकों को छूती है। पांडव नृत्य के अंतिम दिन उत्सव का समापन समारोह होता है, जिसके बाद ग्रामीणों के लिए एक भव्य दावत होती है। जिसके बाद पांडव लीला में इस्तेमाल किए गए पवित्र हथियारों को तरकश में सुरक्षित रख दिया जाता है।

गाँव के स्थानीय कलाकार पाँच पांडवों के पात्रों का चित्रण करते हैं, अर्थात् – युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव। भगवान शिव, माँ राजेश्वरी, नागराजा और भगवान नारायण का प्रतिनिधित्व करने के लिए देवताओं की प्रतीकात्मक आकृतियाँ बनाई जाती हैं जिन्हें ’निशान’ कहा जाता है। पांडव भाइयों का रूप धारण करने वाले सभी कलाकार ढोल-दमाऊ, पहाड़ी वाद्ययंत्रों की धुन पर नृत्य करते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि पांडव लीला करते समय, पांडवों की ब्रह्मांडीय ऊर्जा कलाकारों के शरीर में प्रवेश करती है। चक्रव्यूह कथानक को पांडव लीला में भी दर्शाया गया है, जिसमें कौरवों ने सबसे चतुर युद्ध रणनीति अपनाकर अभिमन्यु को मार डाला था। पांडव लीला का समापन दूसरे दिन नौगिरी कौथिग और अंतिम दिन गेंदा कौथिग की मेजबानी करके किया जाता है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति में सुमीत आनंद द्वारा ध्रुपद गाया गया जिसमें उन्होंने राग यमन द्रुपद आलाप से शुरुआत किया इसके बाद वह 3 पद गाये। चैताल देवी स्तुति “आनंदी जगबंदी, त्रिपुरा सुंदरी माता“ धमार ताल, “कृष्ण पद लाल रंगीले खेले होली“ सूल ताल “शिव पाद शंकर शिव पिनाकी गंगाधर।“ पं. राधे श्याम शर्मा पखावज वादन पर सहयोग किया और रितिका पांडे तानपुरा बजा कर अपना सहयोग दिया।

ध्रुपद और ख्याल शास्त्रीय गायन के दो रूप हैं जो आज भी उत्तर भारत में गाए जाते हैं। सुमीत आनंद दरभंगा परंपरा से आने वाले ध्रुपद गायक हैं। पद्मश्री पंडित सियाराम तिवारी और पंडित राम प्रसाद पांडे जैसे दिग्गज ध्रुपद गायकों के परिवार से आने वाले आनंद ने पटना में अपने प्रारंभिक वर्षों में अपने परिवार के दोनों पक्षों से दरभंगा शैली में व्यापक प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उनके वर्तमान गुरु, पंडित अभय नारायण मल्लिक, पिछली शताब्दी के उत्तरार्ध के प्रसिद्ध कलाकारों में से थे। वह एक कलाकार, शिक्षक, महोत्सव क्यूरेटर और आयोजक, सहयोगी, लेखक और शोधकर्ता हैं।

वह ध्रुपद के दरभंगा घराने के अपने घराने के प्रति सच्चे रह कर साथ ही साथ ध्रुपद गायन को सुलभ, मनोरंजक और प्रासंगिक बनाकर समकालीन रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं। वे ध्रुपद को उसके पारंपरिक रूप में प्रस्तुत करते हैं, जो मधुर विस्तार (अलाप) और रचना (पद) पर समान जोर देता है।

सुमीत ऑल इंडिया रेडियो (ए.आई.आर.) नई दिल्ली से प्रसारण करते हैं और नियमित रूप से भारत भर के संगीत समारोहों में ध्रुपद गायन प्रस्तुत करते है। वह भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के पैनलबद्ध कलाकार हैं और उन्होंने बर्लिन, लंदन, प्राग, बुडापेस्ट और पेरिस में ध्रुपद गायन प्रस्तुत किया है। ध्रुपद गायक होने के अलावा, सुमीत दुनिया भर के कई संगीतकारों और शैलियों के साथ सहयोग करते हैं। वह फेस्टिवल क्यूरेटर, आयोजक, विचारक, वक्ता, लेखक और प्रशिक्षक के रूप में संगीत की सेवा में अपने शोध और प्रबंधन अनुभव को भी साझा करते हैं।

सांस्कृतिक कार्यक्रम की तीसरी प्रस्तुति में पं. साजन मिश्रा और पं. स्वरांश मिश्रा द्वारा हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत प्रस्तुत किया गया। जिसमे उन्होंने राग जोग से शुरुआत की जो विलाम्बित, मध्य और द्रुत ताल में एक ख्याल कंपो रचना है। उनके साथ हारमोनियम पर पं. धर्मनाथ मिश्र, तबले पर शुभ महाराज, तानपुरा पर नितिन और योगेश ने संगत की।

स्वरांश मिश्रा 350 वर्ष पुराने महान “बनारस घराने“ से संबंधित शास्त्रीय संगीत की छठी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने अपने पिता पद्मभूषण पंडित साजन मिश्रा के कुशल मार्गदर्शन में अपने कौशल को निखारना शुरू कर दिया है। उन्होंने प्रतिष्ठित संकटमोचन उत्सव ,वाराणसी से अपने शास्त्रीय कैरियर की शुरुआत की है, और राग रंग महोत्सव जैसे कई शास्त्रीय कार्यक्रमों में प्रदर्शन किया है। वह पंडित बिरजू महाराज द्वारा आयोजित कला-आश्रम के कार्यक्रमों के लिए भी सक्रिय रूप से काम हैं।

हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के अलावा, उन्हें पश्चिमी वाद्ययंत्र (गिटार, सिंथेसाइज़र…) बजाना पसंद है, और उनके रिकॉर्ड में कुछ मनमोहक रचनाएँ हैं। संगीत के शौकीन, वह न केवल धुनें बनाते हैं बल्कि गीत भी लिखते हैं। वह अगले साल की शुरुआत में अपनी रचनाओं वाला एक एल्बम लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं। वह लेखन, रचना, गायन, पटकथा, संगीत निर्माण में समान रूप से रुचि रखते हैं।

पं. साजन मिश्रा (पं. राजन-पं.साजन मिश्रा ), भारतीय शास्त्रीय संगीत के खयाल शैली के गायक हैं। खयाल शैली की गायकी बनारस घराने की 300 साल पुरानी शैली मानी जाती है। मिश्रा बंधु पूरे भारत के साथ-साथ विश्व भर में अपनी गायन कला का प्रदर्शन करते रहे हैं। वे बनारस घराने के भारत के महान गायक हैं। उन्होंने अपने संगीत करियर की शुरुआत किशोरावस्था में ही कर दी थी अब अपने भाई और पार्टनर पं राजन जी के निधन के बाद उन्होंने अपने बेटे स्वरांश के साथ गायन शुरू किया है। इससे पहले, मिश्रा बंधुओं ने जर्मनी, फ्रांस, अमेरिका, यूके, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, मस्कट, नीदरलैंड, यूएसएसआर, कतर और सिंगापुर जैसे कई अन्य देशों में प्रदर्शन किया है। उन्होंने ख्याल शैली (खयाल गायकी के नाम से जाना जाता है), अर्ध शास्त्रीय टप्पा और विभिन्न प्रकार के भजनों के लगभग 20 संगीत एल्बम लॉन्च किए थे।


तबला वादक शुभ जी का जन्म एक संगीतकार घराने में हुआ था। वह तबला वादक किशन महाराज के पोते हैं। उनके पिता श्री विजय शंकर एक प्रसिद्ध कथक नर्तक हैं, शुभ को संगीत उनके दोनों परिवारों से मिला है। बहुत छोटी उम्र से ही शुभ को अपने नाना पंडित किशन महाराज के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित किया गया था। वह  कंठे महाराज.की पारंपरिक पारिवारिक श्रृंखला में शामिल हो गए। सन 2000 में, 12 साल की उम्र में, शुभ ने एक उभरते हुए तबला वादक के रूप में अपना पहला तबला एकल प्रदर्शन दिया और बाद में उन्होंने प्रदर्शन के लिए पूरे भारत का दौरा भी किया। इसी के साथ उन्हें पद्म विभूषण पंडित के साथ जाने का अवसर भी मिला। शिव कुमार शर्मा और उस्ताद अमजद अली खान. उन्होंने सप्तक (अहमदाबाद), संकट मोचन महोत्सव (वाराणसी), गंगा महोत्सव (वाराणसी), बाबा हरिबल्लभ संगीत महासभा (जालंधर), स्पिक मैके (कोलकाता), और भातखंडे संगीत महाविद्यालय (लखनऊ) जैसे कई प्रतिष्ठित मंचों पर प्रदर्शन किया है।

27 अक्टूबर से 10 नवंबर 2023 तक चलने वाला यह फेस्टिवल लोगों के लिए एक ऐसा मंच है जहां वे शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य के जाने-माने उस्तादों द्वारा कला, संस्कृति और संगीत का बेहद करीब से अनुभव कर सकते हैं। इस फेस्टिवल में परफॉर्म करने के लिये नामचीन कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। इस फेस्टिवल में एक क्राफ्ट्स विलेज, क्विज़ीन स्टॉल्स, एक आर्ट फेयर, फोक म्यूजिक, बॉलीवुड-स्टाइल परफॉर्मेंसेस, हेरिटेज वॉक्स, आदि होंगे। यह फेस्टिवल देश भर के लोगों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और उसके महत्व के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करने का मौका देता है। फेस्टिवल का हर पहलू, जैसे कि आर्ट एक्जिबिशन, म्यूजिकल्स, फूड और हेरिटेज वॉक भारतीय धरोहर से जुड़े पारंपरिक मूल्यों को दर्शाता है।

रीच की स्थापना 1995 में देहरादून में हुई थी, तबसे रीच देहरादून में विरासत महोत्सव का आयोजन करते आ रहा है। उदेश बस यही है कि भारत की कला, संस्कृति और विरासत के मूल्यों को बचा के रखा जाए और इन सांस्कृतिक मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। विरासत महोत्सव कई ग्रामीण कलाओं को पुनर्जीवित करने में सहायक रहा है जो दर्शकों के कमी के कारण विलुप्त होने के कगार पर था। विरासत हमारे गांव की परंपरा, संगीत, नृत्य, शिल्प, पेंटिंग, मूर्तिकला, रंगमंच, कहानी सुनाना, पारंपरिक व्यंजन, आदि को सहेजने एवं आधुनिक जमाने के चलन में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इन्हीं वजह से हमारी शास्त्रीय और समकालीन कलाओं को पुणः पहचाना जाने लगा है।

विरासत 2023 आपको मंत्रमुग्ध करने और एक अविस्मरणीय संगीत और सांस्कृतिक यात्रा पर फिर से ले जाने का वादा करता है।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें – विकास कुमार- 8057409636

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