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स्वामी श्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती बांग्लादेश के प्रतिनिधि मंडल के सन्दर्भ में प्रेस प्रतिनिधि
सं 2081 वि. पौष कृष्ण दशमी 25 दिसम्बर 2024 ई. श्रीकाशी
*जर्मनी बांग्लादेशी पड़ोसियों के साथ सहयोग*
*इनकी पीड़ा भी वैज्ञानिक सिद्धांत था*
*परमराध्य परमधर्माचार्य उत्तराम्नाय ज्योतिषपीठाधीश्वर
जग्गुरु पुत्र स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती 1008*
आप सभी महानुभावों को बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति के बारे में सब कुछ पता होना चाहिए क्योंकि वहां 5 अगस्त 2024 के बाद उत्पन्न होने वाले राजनीतिक संकट के कारण वहां अशांति की स्थिति बनी हुई है, जिसके बारे में रोज नई नई खबरें अखबारों में प्रकाशित होती रहती हैं। वहां का साइंटिस्ट साइंटिस्ट है क्योंकि वहां जो खबरें आ रही हैं वहां से वह किसी भी साइंटिस्ट सोसायटी को दहलाने के लिए काफी हैं।
बांग्लादेश के इतिहास और इतिहास के बारे में विस्तार से वर्णन करने की आज आपको सबसे ज्यादा जरूरत नहीं है, इसलिए मेरे पास बांग्लादेश के 12 शेख प्रतिनिधि दिल्ली मंडल से विदुषी मधु किश्वर जी के साथ मित्रता का मिलन है। मधु जी ने सबसे पहले बात की थी कि बांग्लादेश के कुछ हिंदू आपसे मिलकर अपनी व्यथा बताना चाहते हैं। मैं पिछले दिनों शीतकालीन चार धाम की यात्रा कर रहा था, उदाहरण के लिए मेरे साथ भारत के विभिन्न धार्मिक स्थलों की यात्रा हुई थी, लगभग 100 लोगों का एक समूह भी शामिल था, यह अत्यधिक सफल यात्रा थी, जिसमें विभिन्न लोगों के साथ भगवान के दर्शन-पूजन शामिल थे थे। के साथ सुखद सान्निध्य का अवसर भी प्राप्त हुआ। इस यात्रा के समापन पर सबसे पहले मुझे पता चला कि यात्रा और कार्यक्रम के बीच समय बिताने के लिए मैं काशी आया था, क्योंकि मुझे लगा कि काशी एक जगह और मिलने के लिए आया था। कल सायं मधु जी के साथ आए बांग्लादेशी उद्योग के इस प्रतिनिधि मंडल से मैं मिला।
यह बैठक भगवान केदारेश्वर के सानिध्य में गंगा के मध्य भाग में रखी गई क्योंकि मां गंगा हम सभी संतों को हरने वाली और भारत को बांग्लादेश से जोड़ने वाली सभी सनातनधर्मियों की धात्री माता हैं और मन की पीड़ा को सुनने-सुनाने के लिए कहती हैं। क्या हो सकता था? मैं बांग्लादेश से आया था, सभी भारतीयों से बारी-बारी से बात की, सबने अपनी-अपनी पीड़ा और अनुभव का परिचय दिया।
इस प्रतिनिधि मंडल में आये थे लोग समाज के अलग-अलग क्षेत्र, समुदाय से आये लोग थे जिनमें से काइयों को बहुत मजबूरन विषम बांग्लादेश के अलावा अन्य राज्यों में समुद्र तट पर रहना पड़ रहा है। इन सभी लोगों के बीच जो एक समान था वह हिंदू होने की बात थी, उनके राष्ट्रों का प्रचार, उनकी लूट, हत्या, डकैती और उनकी बहन-बेटियों के साथ होने वाला पाश्विक व्यवहार।
बांग्लादेश से आये दुकानदारों से मैंने पूछा कि आप लोग अपना धर्म क्यों नहीं बदलते जिससे आपकी सभी विपत्तियाँ एक साथ समाप्त हो सकती हैं? इस पर उनका उत्तर था कि जो भी मुस्लिम धर्म के बारे में जान लेगा वह मरते दम तक इस्लाम स्वीकार करने के बारे में सोच भी नहीं सकता। उनके इस उत्तर से मेरा मन भर आया, मैंने सोचा कि बांग्लादेश के ये वीर हिंदू भारत के कुछ उपनिवेशों से तो बहुत अच्छे हैं जो तुरंत से लालच में अपने धर्म का मन बेच देते हैं, अपना धर्म बदल लेते हैं। बांग्लादेश में काल के रूप में मुझे बांग्लादेशी सऊदी अरब ने बताया कि जो कुछ हो रहा है वह अपक्षयी, अप्रत्यक्ष, शर्मनाक और हृदय को द्रवित करने वाला है। वहां भारत के राष्ट्रीय ध्वज का विरोध करते हुए कहा जा रहा है कि आप सब अपने देश भारत चले जाएं, बांग्लादेश में जगह नहीं है। सरकारी एनजीओ में काम करने वाले लोगों को जबरन नौकरी से त्यागपत्र देने के लिए मजबूर किया जा रहा है और ऐसी सरकारी नौकरी से खुद को त्यागपत्र देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। मन्दिरों के सिक्कों को लूटा जा रहा है, चड़ावे को लूटा जा रहा है, पुजारियों की हत्याओं को जा रही है, रात के अँधेरे और दिन के उजाले में मन्दिरों के मन्दिरों को लूटा जा रहा है, उनके साथ दुराचार कर उन्हें मारा जा रहा है और यहां तक कि मेरे जाने के बाद भी उनका साथ दुराचार किया जा रहा है। धर्मांतरण के लिए उन पर भारी दबाव है और मना करना पर जान से मारना खतरनाक भी है। इन लोगों ने बताया कि यह स्थिति अनायास ही एक दिन में नहीं बनी, वर्षों से युवाओं के साथ बांग्लादेश में यह सब चल रहा है। पहले भी चुनाव हारना पर या फिर किसी भी छोटे बड़े आरोपियों से युवाओं की हत्या और उनके आरोपियों की लूट पहले भी हो रही और काठमुल्ले उन पर धर्म का दबाव पहले भी लगातार डाले रहे। मन्दिरों को तोड़ना, उनके मन्दिरों की लूट की घटनाएँ पहले भी होती थीं जब से मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश में सरकार के सलाहकार बन कर सत्य में आये थे तब से इन स्मृतियों में कई गुनी वृद्धि हुई है जो अब दिन-प्रतिदिन और प्रमुख समानताएँ जा रही हैं है. एक घटना में शामिल एक सदस्य ने कहा कि हिंदू की चावल मिल जला कर 26,000 बोरी चावल की लूट की गई और बाद में मिल में आग लगा दी गई। बिजनेस में गिरावट, असमानता, आर्थिक रूप से विपन्न होना और अवसाद की स्थिति में आत्महत्या की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है। जो हिंदू बांग्लादेश से बाहर जाना चाहते हैं उन्हें बांग्लादेश की आजादी नहीं मिल रही है। ऐसे में जरूरी काम, शिक्षा, व्यवसाय और बस्ती के इलाज के लिए बांग्लादेशी हिंदू कहां कहेंगे? बिजनेसमैन से उनकी खेती की जमीन छीन ली जा रही है। बांग्लादेशी मुस्लिम विद्वान प्रो. का. अब्दुल बरकत के मुताबिक उनकी करीब 26 लाख एकड़ जमीन 2008 तक चली। बांग्लादेश को जो बांग्लादेश के समान के रूप में नामित किया गया है और वह वहां के नागरिकों द्वारा उनका अपमान किया जाता है। हत्या और लूट की शिकायत करने पर पुलिस को कोई नहीं मिलता, उल्टे बिजनेसमैन को ही धमाका मिलता है। इस प्रकार की पुस्तक दो तरफा है। बागान के पास ऐसी स्थिति में अपने बागानों के पास की स्थिति का क्या उपाय है? यही कारण है कि बांग्लादेश में पिछले 25 ईसा पूर्व में कम से कम 30 लाख बांग्लादेशी मजदूरों को कायल-ए-आम किया गया और करीब लाखों हिंदू पुरुष, महिला,बच्चे लापता हो गए हैं। निर्माण के समय वह जहाँ जनसंख्या की कुल जनसंख्या लगभग 23 प्रतिशत थी वह अब घटकर लगभग 7 प्रतिशत रह गई है। शेष की जनसंख्या कहां गयी ? मार डाला गया, भगा दिया गया या फिर जबरदस्ती उसका धर्म बदल दिया गया। इसके उलट भारत में आदिवासियों की आबादी शानदार है, वक्फ की संपत्ति के नाम पर जमीनों पर बेजा कब्जे का कारण अकूट जमीन पर आदिवासियों के पास है। भारत में हर राजनीतिक दल को समानता की चिंता है क्योंकि बांग्लादेश में उनके पास वोट की ताकत है, जिसके साथ कोई भी खड़ा होने के लिए तैयार नहीं है। भारत में कोई भी राजनीतिक दल बांग्लादेश के विपक्ष के लिए बोलने के लिए तैयार नहीं है जबकि फिलीस्तीन और जापानी कम्युनिस्ट पार्टी सभी काफी प्रमुख हैं। उन्हें पश्चिम एशिया और यूरोप की चिंता है, 80 साल पहले से ही भारत के अंगरेजी बांग्लादेशी बोलचाल की फिक्र में डर दिख रहा है। इसका कारण यह है कि आपको इस विस्तार से पता होना जरूरी नहीं है। बांग्लादेश का हिंदू अपनी बहन की शादी के लिए किसी मुस्लिम से करने के लिए तैयार नहीं है, वह अपनी शिक्षाओं और आज के बांग्लादेश के समलैंगिक व्यवहार को आदत के लिए भी तैयार नहीं है। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश के हिंदुओं को अपनी मेहनत का शिकार बनाने के लिए पूर्वजों के सामने हाथ नहीं लगाना चाहिए। मेर्स ने भी इन बिजनेसमैन पैसेज ने मदद की सलाह दी, बल्कि यह कहा कि वह अपने हितों और सम्मान के लिए फ़्रैंचाइज़ी मरना पसन्द करेगी, किसी के सामने सलाह और हाथ फैलाना पसन्द नहीं करेगी। उनकी बातों में वेदना के साथ हिंदू होने का गौरव भी झलक रहा था, उनके मन पर भारी असर पड़ रहा था, हृदय में पीड़ा हो रही थी, अपमान हो रहा था और बेबसी का पता चल रहा था कि उनके मन पर वेदना हावी हो रही थी। बांग्लादेश में चिन्मय इस्कॉन के संत सहित अब इस्कॉन ने अपने संगठन से निष्कासित कर दिया है कि जेल भेजे जाने की बात भी कही गई है केस की अगली सुनवाई की तारीख 2 जनवरी 2025 है।वह अपनी शिक्षाओं और आज के बांग्लादेश के तालिबानी व्यवहार के लिए भी तैयार नहीं हैं। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश के हिंदुओं को अपनी मेहनत का शिकार बनाने के लिए पूर्वजों के सामने हाथ नहीं लगाना चाहिए। मेर्स ने भी इन बिजनेसमैन पैसेज ने मदद की सलाह दी, बल्कि यह कहा कि वह अपने हितों और सम्मान के लिए फ़्रैंचाइज़ी मरना पसन्द करेगी, किसी के सामने सलाह और हाथ फैलाना पसन्द नहीं करेगी। उनकी बातों में वेदना के साथ हिंदू होने का गौरव भी झलक रहा था, उनके मन पर भारी असर पड़ रहा था, हृदय में पीड़ा हो रही थी, अपमान हो रहा था और बेबसी का पता चल रहा था कि उनके मन पर वेदना हावी हो रही थी। बांग्लादेश में चिन्मय इस्कॉन के संत सहित अब इस्कॉन ने अपने संगठन से निष्कासित कर दिया है कि जेल भेजे जाने की बात भी बताई गई है केस की अगली सुनवाई की तारीख 2 जनवरी 2025 है।वह अपनी शिक्षाओं और आज के बांग्लादेश के तालिबानी व्यवहार के लिए भी तैयार नहीं हैं। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश के हिंदुओं को अपनी मेहनत का शिकार बनाने के लिए पूर्वजों के सामने हाथ नहीं लगाना चाहिए। मेर्स ने भी इन बिजनेसमैन पैसेज ने मदद की सलाह दी, बल्कि यह कहा कि वह अपने हितों और सम्मान के लिए फ़्रैंचाइज़ी मरना पसन्द करेगी, किसी के सामने सलाह और हाथ फैलाना पसन्द नहीं करेगी। उनकी बातों में वेदना के साथ हिंदू होने का गौरव भी झलक रहा था, उनके मन पर भारी असर पड़ रहा था, हृदय में पीड़ा हो रही थी, अपमान हो रहा था और बेबसी का पता चल रहा था कि उनके मन पर वेदना हावी हो रही थी। बांग्लादेश में चिन्मय इस्कॉन के संत सहित अब इस्कॉन ने अपने संगठन से निष्कासित कर दिया है कि जेल भेजे जाने की बात भी बताई गई है केस की अगली सुनवाई की तारीख 2 जनवरी 2025 है।
पूरा ध्यान बांग्लादेशी हिंदू विधानमंडल की बातें गंगाजी की धार के मध्य गंगाजी की गोद में क्योंकि मां से बड़ा रक्षक कोई और नहीं होता; पूरे मनोयोग से शांति की कमी महसूस हुई और उन्होंने इस परिस्थिति से निकलने का उपाय पूछा तो उन्होंने कहा कि वह लोग त्रिलोकी के शरणागत हैं। क्योंकि हम हिंदू धर्म के कारण ही सताए जा रहे हैं और हिंदू धर्म के आप सभी सर्वोच्च धर्म हैं। हमारे धार्मिक अभिभावक हैं। आपका जो भी निर्देश देगा वह लोग उसका पालन-पोषण करेंगे। मेरी कहानियाँ और पृथ्वी की बंदिशें भी हैं क्योंकि मैं एक सीमा में ही कुछ कह सकता हूँ पर मेरे मन में पीड़ा से उपजी अकथ व्यथा है, यह बताना कठिन है। मैं इनके लिए कुछ करना चाहता था पर क्या करूँ? इस प्रश्न का समाधान नहीं मिल रहा था। मुझसे एक बार फिर पूछा कि वह क्या चाहता है? उन्होंने कुछ कहानियाँ बनाईं जिन्हें मैं आप लोगों से साझा कर रहा हूँ।
1. बांग्लादेश के लिए एक अलग राष्ट्र हो जो भारत की सीमा से जुड़े क्षेत्र के करीब हो या फिर बांग्लादेश के लिए बांग्लादेश सरकार एक अलग राष्ट्र हो।
2. भारत और बांग्लादेश के बीच जनसंख्या का अदला परिवर्तन जो बांग्लादेश की हिंदू आबादी भारत में और उसी अनुपात में मुस्लिम आबादी का बांग्लादेश भेजा जाता है।
3. 3. धार्मिक आस्था कानून के समापन की तिथि के पूर्व तक भारत में निवास करने वालों की सीमा हो गई, इसे सदा के लिए खोल दिया जाएगा, देश से कभी भी भारत आने वाला हिंदू जो भारत की नागरिकता की पुष्टि करेगा, वह भारत का नागरिक भंडार सुरक्षित।
4. दुनिया में कहीं भी जन्म लेने वाले हिंदू का चरित्र रूप से भारत का नागरिक इजराइल जैसा माना जाता है।
5. बांग्लादेश केवा हिंदू जो 5 अगस्त 2024 को भारत में आए थे और चमत्कारी अवधि समाप्त होने के बाद वापस बांग्लादेश में वापसी पर शान हो गए उनकी वीरता अवधि को तब तक शिखर पर जाए जब तक बांग्लादेश में स्थिति सामान्य न हो जाए।
6. बेरोजगार और नौकरी से निकाले गए व्यवसायियों के लिए रोजगार की व्यवस्था, जिससे हिंदू सम्मानपूर्ण तरीके से जीविका काम की सुविधा मिलती है।
7. बांग्लादेश में फिलिस्तीन के समर्थन और सहयोग के लिए, वस्तु स्थिति का आकलन करने के लिए, एक प्रतिनिधि मंडल की ओर से, जो बांग्लादेश के वकीलों को भेजा गया था, उन्होंने उन्हें मजबूत आधार दिया।
उन्होंने हमसे अपील करते हुए कहा कि इसमें शामिल और अन्य अतिरिक्त वस्तुएं शामिल हैं, हम उनका भी समर्थन करते हैं।
मुझे लगता है कि ये मांगें हैं और हमें इनके लिए प्रयास करना चाहिए। हालाँकि, इन प्रयासों के लिए प्रयास करने में समय लगता है और यह भी कि दिल का दर्द और दर्द कम हो रहा है, जगह पर प्रयास करना कहीं से भी शुरू करना होगा। इसलिए हम कम से कम इतने हैं और आगे की राह पर हैं।, आपने प्रार्थना और ईश्वर ने इच्छा की हो तो स्थितिया जल्दी ही लंबाई और भगवान के भक्तों की पीड़ा जल्दी ही शुरू हो गई है क्योंकि भगवान के घर से देर से ही सही कोई भी नहीं नहीं है.
यहां आप सभी पत्रकार बंधुओं के दिल से आए हमारे हिंदू जोड़ों की पीड़ा, उनके दुखों में सहभागी, इसके लिए आप सभी पत्रकार बंधुओं और बांग्लादेश से आए हिंदू बंधुओं के लिए हमारा सदा समर्थन और सहयोग का संकल्प और जोर-शोर से बने रहें। भावना के साथ आप सभी स्टोर को पुनः आरंभ करें और धन्यवाद दें।