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न्याय के दीप जलाएं- 100 दिनी सत्याग्रह आज 29 वें दिन में प्रवेश कर गया

editor Shabnam chauhan

सर्वधर्म प्रार्थना के साथ प्रारंभ सत्याग्रह में आज सोनभद्र जिला सर्वोदय मंडल एवं सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी के सह संयोजक रामनारायण गोंड, शिक्षिका इंदुबाला सिंह एवं सामाजिक कार्यकर्ता कृष्ण कुमार उपवास पर बैठे हैं। रामनारायण गोंड कहते हैं कि आदिवासी बहुल सोनभद्र जिले को पावर हब ही नहीं प्रदूषण हब भी बना दिया गया है। प्रकृति के सभी अवयव- मिट्टी,पानी, हवा, पर्यावरण, पशु, पेड़ -पौधे, इंसान सभी बुरी तरह प्रदूषण के शिकार हुए हैं। आधुनिक सभ्यता इसे विकास कहती है। इस तथाविकास का लाभ शहर के आभिजात वर्ग उठाते हैं और सोनभद्र जैसे जिले और आदिवासी जैसे समुदाय विकास के कूड़ेदान बनकर रह जाते हैं

इंदुबाला सिंह बभनी ब्लॉक के बरवे- बकुलिया में बीते 33 वर्षो से शिक्षा की अलख जगा रही है,आदिवासी छात्राओं और महिलाओ को शिक्षा के प्रति जागरूक कर रही है। कृष्ण कुमार भी विगत डेढ़ दशक से सामाजिक कामों में सक्रिय हैं।

आज सत्याग्रह स्थल पर। समाजवादी चिंतक प्रो0 सोमनाथ त्रिपाठी को दी गई श्रद्धांजलि

सामाजिक सरोकार में बिताया पूरा जीवन संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के डीन और समाजवादी चिंतक प्रो सोमनाथ त्रिपाठी की तीसरी स्मृति दिवस पर राजघाट स्थित सत्याग्रह स्थल पर साझा संस्कृति मंच के बैनर तले रामधीरज भाई की अध्यक्षता में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। मौके पर उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में अहम भूमिका रही और पूर्वांचल किसान आंदोलन के दौरान साथ रहे। आजादी बचाओ आंदोलन के समय भी उनका विचार अनुकरणीय रहा।अदभुत और जिंदादिल व्यक्तित्व के धनी कोरोना काल में काल के गाल में समा गए। बैठक में जेपी आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले वयोवृद्ध समाजवादी विजय नारायण और मैगाग्सेस पुरस्कार से सम्मानित सोसलिस्ट संदीप पाण्डेय ने कहा कि प्रो सोमनाथ शिक्षा जगत से जुड़े होते हुए भी सामाजिक परिवर्तन किसान, गरीब, दुखियो के उत्थान के लिए जीवन पर्यन्त कार्य करते रहे। यही नहीं उन्होंने अपना वेतन का एक बड़ा हिस्सा भी जरूरत मंदो को दे देते थे। उन्होंने देश भर में समान विचारधारा वाले युवाओं और समाजवादी चिंतकों को जोड़ने का काम किया। नंदलाल मास्टर, जागृति राही, पारमिता और लक्ष्मण मौर्य ने उनके साथ आंदोलन से जुड़े संस्मरण सुनाये । विद्याधर ने कहा कि समाजवादी चिंतक आज साथ होते तो आंदोलन की रूपरेखा बनाते।

स्मृति सभा में रमेश यादव, इंदुबाला, रामनारायण, बल्लभ पांडेय, रमेश, कृष्ण कुमार, अहमद अंसारी,उमेश चौबे, पद्माकर सिंह,ओंकार नाथ पांडे, शक्ति कुमार, सुरेंद्र नारायण सिंह, सुरेश, अनुज, डा नितिन,अंकित सिंह, राजू, नमो नारायण,तारकेश्वर सिंह, फ्लोरिन, प्रेम प्रकाश यादव, स्वतंत्र मौर्य, राधे सिंह,आनंद निषाद, प्रवीण,संदीप पांडे, बृजनंदन आदि शामिल रहे। संचालन रामजनम ने किया।

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