देहरादून। उत्तराखंड के जंगल धधक रहे हैं, वन संपदा को भारी नुकसान पहुंच रहा है। जंगली जानवर जान बचाने के लिए आबादी की तरफ भाग रहे हैं और आग अब आबादी क्षेत्र तक भी पहुंच रही है। लेकिन इस आग पर काबू पा सकना वन विभाग के बूते की बात नहीं है। वन मंत्री सुबोध उनियाल साफ तौर पर यह मानते हैं कि बिना जन सहयोग के जंगल की आग को नहीं बुझाया जा सकता है।
वनाग्नि को रोकने के लिए सरकार द्वारा किए जाने वाले प्रयासों के बारे में उनका कहना है कि चुनावी व्यस्तता के कारण इस पर ध्यान नहीं दिया जा सका। लेकिन चुनाव के तुरंत बाद मुख्यमंत्री धामी ने इसका संज्ञान लिया। हमने अब तक चार बैठक की है। उन्होंने कहा कि हमने ग्राम प्रधानों की देखरेख में 72 कमेटियंा बनाई है जिन्हें हम प्रोत्साहन राशि भी दे रहे हैं। उनका कहना है कि हमें सूचना तो जल्द मिल जाती है लेकिन जब तक टीम आग बुझाने पहुंचती है आग विकराल हो जाती है हम रिस्पांस टाइम में सुधार की कोशिशें कर रहे हैं।
उन्होंने आग लगने के कारणों के बारे में कहा कि किसान अपने खेतों की खर पतवार जलाने के लिए आग लगाते हैं तो कई बार आम लोगों की लापरवाही और अराजक तत्वों की शरारत भी आग लगने का कारण बन जाती है जिस पर लगाम लगाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने हर डिवीजन को बजट जारी कर दिया है तथा जिलाधिकारियों को भी निर्देश दिए गए हैं।
उधर नैनीताल से कांग्रेस नेता सुमित हृदयेश का कहना है कि पूरे प्रदेश के जंगल जल रहे हैं लोग परेशान हैं संपदा का भारी नुकसान हो रहा है लेकिन सरकार चैन से बैठी है। उन्होंने कहा कि अभी मैंने तीन बार टोल फ्री नंबर 1070 पर बात करने की कोशिश की लेकिन फोन नहीं मिल रहा है। ऐसे में आम लोग अगर अपनी शिकायत करना चाहे तो किसे करें और कैसे करें। पौड़ी और रुद्रप्रयाग के कई क्षेत्रों में आग आबादी तक पहुंच चुकी है ऐसा ही अल्मोड़ा का हाल है। लोग खुद जान माल की सुरक्षा में जुटे हैं मगर सरकार का कुछ अता-पता नहीं है।