IAS Ashok kumar डीजीपी अशोक कुमार का भावुक पल , एक उपलब्धियों भरा समारोह और मित्र पुलिस को सशक्त बनाने में शानदार किरदार निभाने वाले डीजीपी अशोक कुमार का ’’ऑपरेशन मुक्ति’’ की कामयाबी का दिन … एक चौराहे पर भिक्षा मांगते बच्चों को देखकर जब डीजीपी अशोक कुमार ने इस अभियान का बीज बोया था तो उम्मीद की थी कि एक दिन ये मिशन हज़ारों मासूम आँखों में सुनहरे भविष्य की चमक बिखेरेगा। ’’ऑपरेशन मुक्ति’’ को मासूमों की मुस्कान जैसी अनमोल दौलत कमाने वाले डीजीपी अशोक कुमार को हज़ारों बच्चे , और पूरा देवभूमि सलाम कर रहा है।
डीजीपी अशोक कुमार ने दिया भावुक संदेश IPS Ashok Kumar
आज जब उनका मिशन एक अभियान बन चुका है तो उन्होंने न सिर्फ पुलिस परिवार को बल्कि पुरे समाज को बड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड पुलिस का यह अभियान भिक्षा नहीं शिक्षा की ओर अग्रसर है। ’हर हाथ में हो किताब’ इस उद्देश्य के साथ पुलिस विभाग द्वारा अन्य संस्थाओं के सहयोग से ऑपरेशन मुक्ति अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बच्चों को उनका बचपन देना जरुरी है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बच्चों को भिक्षा देकर हम उनकी मदद नहीं करते, बल्कि उन्हें भिक्षावृत्ति की ओर धकेल रहे हैं। जिसके दूरगामी परिणाम समाज के हित में नहीं हैं।
ड्रॉपआउट की समस्या पर उन्होंने ऑपरेशन मुक्ति टीम को सम्बोधित करते हुए कहा कि बच्चों की स्कूली शिक्षा दीक्षा एवं कल्याण के लिए प्रचलित सरकारी योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर बच्चों को उनसे भी लाभान्वित करने का प्रयास करें। वर्ष 2017 से प्रारम्भ किये गये इस अभियान में अभी तक 3603 बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया गया है। उन्होंने विशेष रूप से कहा कि ऑपरेशन मुक्ति अभियान में पुलिस कर्मियों की विशेष कार्ययोजना से मिले सकारात्मक परिणाम हम सबके सामने हैं।
आपको बता दें कि उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने बच्चों को भिक्षावृत्ति के मार्ग से हटाने के उद्देश्य से साल 2017 में इस अभियान की शुरुआत की थी, तब से यह अभियान लगातार चलाया गया। .बच्चों द्वारा की जा रही भिक्षावृत्ति की प्रभावी रोकथाम करने, भिक्षा न दिये जाने के संबंध में जनता को जागरूक करने, भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को शिक्षा हेतु प्रेरित करने व उनके पुनर्वास हेतु नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करने हेतु उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के निर्देशानुसार समस्त जनपदों में “ऑपरेशन मुक्ति” अभियान ने देश भर में वाहवाही बटोरी और अभियान की थीम “भिक्षा नहीं, शिक्षा दें” व “Support to educate a child” को जनता का भी खूब सपोर्ट मिला। वहीँ मित्र पुलिस के रूप में उन्होंने कई तरह के कार्यक्रम क्रियान्वयन किए हैं जिनमें एक उदाहरण के रूप मे 2007 मे ऋषिकेश मोहन लाल NRI के घर में पडी डकैती के अपराधियों को बंगाल देश सीमा से गिरफ्तार कर उन्हें सजा दिलाने का काम किया।1994 मे एसपी चमोली रहते हुए ज़न सरोकार के आंदोलनकारी लोगों पर पुलिस ने गिरफ्तार नहीं कर मित्र पुलिस के विश्वास को मजबूत करने का काम किया है। 2008 -2009 टिहरी जिले में प्रतापनगर की जनता ने टिहरी बाँध से हो रही असुविधा के निराकरण करने के लिए उग्र रूप में प्रदर्शन देहरादून में किया। पहाड़ों की गूँज राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र के संपादक एवं टिहरी बाँध प्रभावित संघर्ष समिति के संयोजक जीत मणि पैन्यूली के जन्म दिन पर 15 जून 2009 को टेलीफोन टावर के उपर आंदोलनकारी ने धरना प्रदर्शन किया है और य़ह सिलसिलेवार देहरादून में चलता रहा उस पर डीआईजी रहते हुए मित्र पुलिस की भूमिका रखते हुए आंदोलनकारी के ऊपर मुकदमे दर्ज नहीं हुए हैं।इस तरह के ज़न सेवकों की प्रदेश, देश में आवश्यकता है।