देश में प्रथम प्रेस महा कुम्भ मे आने वाले साथियों और सहयोगियौं का हार्दिक स्वागत करते हैं-संयोजक जीतमणि पैन्यूली
350 पत्रकारों ने कोरोंना काल में अपना बलिदान दिया है उनकी आत्मा शांति के लिए 12 अक्तूबर 2023 को हरिद्वार में श्राद्ध तर्पण करते हुए राष्ट्रीय संयोजक प्रेस महा कुम्भ हरिद्वार जीतमणि पैन्यूली उमा शंकर विशिष्ट प्रसिद्ध तीर्थ पुरोहित के द्वारा सम्पन्न कराया
卐ॐ देश में प्रथम प्रेस महा मे आने वाले साथियों का हार्दिक स्वागत करते हैं।प्रेस की समस्याओं को लेकर देश के पत्रकारों का महा कुम्भ हरिद्वार 06 जनवरी 2024 को पंत द्वीप के मैदान में आयोजित होने जा रहा है।य़ह आयोजित होने वाले समागम पत्रकारों की अपनी मांगों के साथ-साथ आपनी खोई हुई प्रतिष्ठा से उभारने के लिए ,आय बढ़ाने में मदद करेगा, कम समय में सभी प्रेस से जुड़े लोगों से बातचीत करने के लिए जुनून पैदा करने के लिए आप आगे आएं और अपने और अपने जिला, प्रदेश के पत्रकार साथियों के मोबाइल no Whatsap no हमे 7983825336 या ईमेल pahadonkigoonj@gmail.com पर भेजे, ताकि महा कुम्भ में आने के लिए आपको निमन्त्रण कार्ड समय से आपके राज्य की राजधानी में,दिया जा सके ।अबतक इस पुण्य कार्यक्रम के आयोजन में आय व्यय की जानकारी प्रत्येक राज्य के पत्रकार वार्ता में दी जाएगी।य़ह पहला पारदर्शिता के साथ होने वाला महानायक कार्यक्रम होगा। आप सौभाग्यशाली है कि आपके उपस्थित संयोग में आने वाली पीढ़ी के लिए यादगार बनाने का प्रयास किया जा रहा है। कार्यक्रम की सफलता के लिए अर्थिक सहयोगात्मक आप paytam no 9456334283 Jeetamani a/c No, 705010110007648,IFSCode:BKID0007050,Bank of India Dehradun. 卐ॐ। संयोजक के नाम से भेजने की कृपा कीजिएगा।
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष श्री सोम दत्त शर्मा जी का बहुत बहुत साधुवाद
अबतक इस पुण्य कार्यक्रम बढ़ कर सहयोग करने के लिए भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष श्री सोम दत्त शर्मा जी ने कहा कि देश के मीडिया कर्मियों का महा कुम्भ उत्तराखंड में होना हमारे प्रदेश वासियों के लिये गौरवांवित होने की बात है कि देव भूमि मे प्रेस महा कुम्भ किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि प्रदेश वासियों को इस महा आयोजित के लिए बढ़चढ़कर सहयोग करना चाहिए और इस महा कुम्भ को सफ़ल बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करने चाहिए।उन्होंने कहा कि देश विदेश में प्रेस के माध्यम से प्रदेश की प्रसंसा होने से देश विदेश के पर्यटकों, तीर्थयात्रा पर आने वाले यात्रियों से प्रदेश में रोजगार के अवसर बढ़ाने में सहयोग मिलेगा।श्री सोम दत्त शर्मा जी ने कहा कि 06 जनवरी 2024 प्रेस महा कुम्भ मे आने वाले लोगों के लिए भोजन व्यवस्था किसान यूनियन की ओर से की जाएगी। शर्मा जी एवं यूनियन के उज्वल भविष्य की मंगल कामनाएँ उत्तराखंड वेब पोर्टल एसोसिएशन की ओर से श्री बद्रीनाथ केदारनाथ से करते हैं।
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दुनियाभर में रह रहे उतराखण्ड मूल के अप्रवासियों को अपनी जड़ो से जोड़ने प्रयास होगा उत्तराखण्ड अप्रवासी सेल
*उत्तराखण्ड अप्रवासी सेल के संचालन को आरम्भ करने की कार्यवाही गतिमान*
*एसीएस श्रीमती राधा रतूड़ी ने उत्तराखण्ड अप्रवासी सेल को जल्द संचालित करने के वर्किंग प्लान पर चर्चा की*
*उत्तराखण्ड मूल के अप्रवासियों के सम्बन्ध में डाटा बेस तैयार करने के निर्देश*
*विभिन्न राज्यों, शहरों और विदेशों में उत्तराखण्डी अप्रवासियों के संगठनों, एसोसिएशन एवं संस्थाओं की मदद ली जाएगी*
*एसीएस श्रीमती रतूड़ी के निर्देश पर तत्कालिन व्यवस्था के रूप में सचिवालय में उत्त्राखण्ड अप्रवासी सेल का एक कार्यालय का संचालन जल्द ही शुरू*
*उत्तराखण्ड मूल के अप्रवासियों को अपनी जड़ों का यह प्रयास आगामी दिसम्बर माह में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में आरम्भ*
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने उत्तराखण्ड अप्रवासी सेल के संचालन को जल्द आरम्भ करने हेतु सचिवालय में आज सम्बन्धित अधिकारियों को महत्वपूर्ण निर्देश दिए। एसीएस ने उत्तराखण्ड अप्रवासी सेल के सम्बन्ध में देश और दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में रह रहे उत्तराखण्ड मूल के अप्रवासियों के सम्बन्ध में डाटा बेस तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इस दिशा में देश के विभिन्न राज्यों, शहरों और विदेशों में उत्तराखण्डी अप्रवासियों के संगठनों, एसोसिएशन एवं संस्थाओं की मदद ली जाएगी। विश्वभर में रह रहे उत्तराखण्ड मूल के अप्रवासियों को अपनी जड़ों का यह प्रयास आगामी दिसम्बर माह में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में ही आरम्भ हो जाएगा। इस समिट में देश विदेश में उत्कृष्ट कार्य करने वाले उत्तराखण्ड अप्रवासियों को सम्मानित किया जाएगा। बैठक में राज्य के अप्रवासियों के नियमित अप्रवासी सम्मेलन आयोजित करवाने, उत्तराखण्ड सरकार तथा अप्रवासियों के बीच बेहतर सामंजस्य, अप्रवासियों के निवेश प्रस्तावों पर त्वरित कार्यवाही, अप्रवासियों की समस्याओं के तत्काल समाधान की कार्ययोजना पर चर्चा की गई।
बैठक में उत्तराखण्ड अप्रवासियों के राज्य में समाज कल्याण , महिला सशक्तीकरण एवं सामाजिक उद्यमिता (सोशल इन्टरप्रियोन्शिप), ऑल्ड एज होम आदि में निवेश एवं योगदान को प्रोत्साहित करने की योजना पर भी चर्चा की गई। एसीएस श्रीमती राधा रतूड़ी ने कहा कि उत्तराखण्ड अप्रवासी सेल अप्रवासियों को राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य, टेक्नॉलजी सहित सभी क्षेत्रों में जोड़ने एवं निवेश के लिए प्रोत्साहित भी करेगा। उन्होंने उत्तराखण्ड अप्रवासी सेल की वेबसाइट को जल्द से जल्द आरम्भ करने के भी निर्देश दिए। इसके साथ ही श्रीमती राधा रतूड़ी ने अधिकारियों को अन्य राज्यों के अप्रवासी सेल के अध्ययन के निर्देश दिए हैं। एसीएस श्रीमती रतूड़ी के निर्देश पर तत्कालिन व्यवस्था के रूप में सचिवालय में उत्त्राखण्ड अप्रवासी सेल का एक कार्यालय का संचालन जल्द ही शुरू होने जा रहा है। बैठक में सचिव शैलेष बगौली, अपर सचिव श्रीमती नमामि बंसल एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
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मुख्यमंत्री ने मुंबई में किया फिल्म उद्योग से जुड़ी हस्तियों से विचार विमर्श।
फिल्म निर्माताओं ने उत्तराखण्ड में फ़िल्म शूटिंग के लिए दिखाया उत्साह।
मुख्यमंत्री ने फिल्म जगत से जुड़े लोगों को किया ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में आमंत्रित।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को मुंबई में आयोजित रोड शो के दूसरे दिन फिल्म उद्योग से जुड़े निर्माता, निदेशक एवं कलाकारों से बैठक कर उत्तराखंड में फिल्म उद्योग की सम्भावनाओं पर चर्चा की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने सिनेमा जगत से जुड़े लोगों को आगामी 8-9 दिसंबर को देहरादून में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के लिए भी आमंत्रित भी किया। इस अवसर पर फिल्म उद्योग से जुडे निवेशकों द्वारा कई सुझाव भी दिए गए। इस दौरान मुख्यमंत्री ने फिल्म जगत से जुड़े कई वरिष्ठ कलाकारों को सम्मानित भी किया गया। रोड शो के दौरान फ़िल्म निर्माताओं ने उत्तराखण्ड सरकार द्वारा फ़िल्म शूटिंग के दौरान मिलने वाले सहयोग के लिए आभार जताया और उत्तराखण्ड में फ़िल्म शूटिंग के लिए उत्साह भी दिखाया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी फिल्मी हस्तियों का स्वागत करते हुए कहा कि उत्तराखंड में देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश के अलावा बदरी केदार और गंगा-यमुना जैसी सदाबहार नदियां हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में शूटिंग के लिए देश दुनिया की सबसे सुंदर और बेस्ट डेस्टिनेशन हैं। नैनीताल मसूरी, औली, चकराता, पिथौरागढ़, मुनस्यारी चोपता -हर्षिल, वैली ऑफ़ फ्लावर्स जैसे मनोहारी स्थान भी उत्तराखंड में उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि बीते कुछ वर्षों में प्रदेश में कई नए शूटिंग डेस्टिनेशन भी विकसित हुए हैं। अब प्रदेश में अच्छी कनेक्टिविटी तथा आवास की बेहतर व्यवस्थायें उपलब्ध है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदि कैलाश यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी की यात्रा के बाद उत्तराखंड में ज्यौलीकांग, आदि कैलाश जैसे उच्च हिमालयी स्थानों पर भी पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ रही है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रदेश सरकार फिल्म निर्माताओं,वेब सीरीज बनाने वाले निर्माता निर्देशकों के लिए कई योजनाएं प्रदेश में संचालित कर रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में फ़िल्म शूटिंग के बेहतर वातावरण बन सके, इसके लिए प्रदेश सरकार निरंतर प्रयासरत हैं। उन्होंने बताया कि फ़िल्म नीति और नयी सेवा क्षेत्र नीति (Service Sector Policy) के अंतर्गत फिल्म एवं मीडिया प्रोत्साहन के लिए फ़िल्म सिटी, फ़िल्म संस्थानों, नये शूटिंग स्टूडियोज़, नये प्रोडक्शन हाउस, नये पोस्ट प्रोडक्शन हाउस, नये सिनेमाघरों की स्थापना को सम्मिलित किया गया है।
महानिदेशक सूचना तथा उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद के मुख्य कार्याधिकारी बंशीधर तिवारी ने बताया कि उत्तराखंड में फिल्मों की 75 प्रतिशत शूटिंग होने पर हिंदी फिल्मों के लिए ₹1.5 करोड़ तक की सब्सिडी, क्षेत्रीय फिल्मों के लिए ₹25 लाख तक की सब्सिडी और अन्य राज्य की भाषाओं हेतु फिल्मों को ₹15 लाख तक की सब्सिडी दी जा रही है। प्रदेश सरकार क्षेत्रीय, हिन्दी व अन्य भाषाओं की फ़िल्मों के लिए अनुदान राशि को बढ़ाने पर भी विचार करन रही है। इसके साथ ही OTT/Web Series, TV&Serials, Documentaries, Short Films को भी अनुदान के लिये सम्मिलित किए जाने पर विचार किया जा रहा है।
कार्यक्रम के दौरान फ़िल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उत्तराखण्ड में फ़िल्म शूटिंग के दौरान सरकार, पुलिस और प्रशासन का बेहतर सहयोग मिलता है। उन्होंने कहा कि “द कश्मीर फ़ाइल्स” फ़िल्म की शूटिंग के दौरान कोविड काल में उत्तराखण्ड सरकार का द्वारा अभूतपूर्व सहयोग उन्हें मिला, अग्निहोत्री ने मुख्यमंत्री का इसके लिए आभार भी प्रकट किया है। इस दौरान कई फ़िल्म / वेब सीरिज़ निर्माताओं ने उत्तराखण्ड में शूटिंग लिए उत्सुकता दिखाई।
इस दौरान फिल्म अभिनेता जितेन्द्र, निदेशक विवेक अग्निहोत्री, अर्चना पूरण सिंह, हिमानी शिवपुरी, रमेश तौरानी, राज शांडिल्य, राहुल रवैल, दीपक डोबरियाल समेत फिल्म उद्योग जगत से जुड़े अनेक कलाकार, निर्माता, निदेशक मौजूद रहे।
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विरासत में मास्टर शिल्पकार कार्यशाला का आयोजन किया गया
विरासत में ’भिखारी ठाकुर रंगमंडल की ओर से ’गबरघिचोर’ नाटक का मंचन किया गया
विरासत में पूर्बयन चटर्जी द्वारा सितार वादन प्रस्तुत किया गया
राधिका चोपड़ा के ग़ज़ल गायकी से विरासत में मौजूद लोग हुए मंत्रमुग्ध
देहरादून- 07 नवंबर 2023- विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2023 के 12वें दिन के कार्यक्रम की शुरूआत मास्टर शिल्पकार कार्यशाला से हुई जिसमें स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए एक कार्यशाला का आयोजन घनश्याम जी और कल्पना शर्मा द्वारा किया गया। इस कार्यशाला में 3 स्कूलों, 1 कॉलेज और 1 ट्रस्ट ने भाग लिया : एसजीआरआर पब्लिक स्कूल बालावाला, दून इंटरनेशनल स्कूल, लतिका फाउंडेशन, आसरा ट्रस्ट और बीएस नेगी महिला तकनीकी प्रशिक्षण संस्थान। कुल मिलाकर 110 छात्र थे जिन्होंने इस कार्यशाला में भाग लिया और एक्सपर्ट्स से मिट्टी के बर्तन बनाना, प्राकृतिक और सिंथेटिक टाई और डाई, मुखौटा बनाना, पहाड़ी कला और क्यूबिक्स सॉल्विंग करना सीखा।
आज के सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभांरंभ मुकेश सिंह आई.पी.एस आईजी, आईटीबीपी एवं रीच विरासत के महासचिव श्री आर.के.सिंह एवं अन्य सदस्यों ने दीप प्रज्वलन के साथ किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति में बिहार के लोकप्रिय नाटक ’भिखारी ठाकुर रंगमंडल’ की ओर से ’गबरघिचोर’ का मंचन किया गया। जिसमें जैनेन्द्र दोस्त : पंच, राहुल कुमार : गबरघिचोर, मंचन : गलीज बहु, सुनिल गावस्कर : गलीज, नमन मिश्रा : गड़बड़ी, धर्मराज : जल्लाद, रमलखन : फुहरी एवं समाजी, बृजनाथ सिंह : नृत्य एवं समाजी, रवीन्द्र पटेल : नृत्य एवं समाज, गौरी शंकर : हारमोनियम, संदीप कुमार : ढ़ोलक, शिव कुमार : ध्वनि एवं प्रकाश विन्यास, रंजीत भोजपुरिया : मंच व्यवस्था, सरिता साज़ : संगीत एवं रूप विन्यास के भुमिका में नजर आए। इस नाटक का निर्देशन डॉ. जैनेंद्र दोस्त ने किया।
गबरघिचोर नाटक भिखारी ठाकुर का सबसे चर्चित लोक नाटक है। यह नाटक बिदेसिया का सिकुअल की तरह है। यह एक सांगितिक नाटक है। नाटक की कहानी भी विस्थापन से जुड़ी समस्या से शुरू होती है। जिसमें विस्थापित पति द्वारा पत्नी को भुला दिए जाने से उत्पन्न समस्या मुख्य है। परंतु सबसे ख़ास बात यह है कि यह नाटक स्त्री के अपने बेटे पर अधिकार की वकालत करता स्त्री विमर्श पर केंद्रित है। यह नाटक पुरुषवादी धारणाओं के ऊपर पर मातृत्वता के पक्ष में खड़ा होता है। इस नाटक में पूर्वांचल क्षेत्र के अनेक नृत्य और गायन शैलियों को जैसे कि जाँघिय नृत्य, पूर्वी गीत, दोहा, चौपाई, विलाप गीत, निर्गुण गीत आदि को शामिल किया गया है।
डॉ. जैनेंद्र दोस्त “भिखारी ठाकुर रंगमंडल प्रशिक्षण एवं शोध केंद्र” के फ़ाउंडर डाइरेक्टर हैं। इस रंगमंडल के माध्यम से जैनेंद्र दोस्त लोक कलाकार और बिहार के विरासत बिदेसिया के जनक भिखारी ठाकुर के रंगमंच, गीत-संगीत, नृत्य, वाद्ययंत्र को पुनर्जीवित कर रहे हैं। इनके अथक प्रयास से ही भिखारी ठाकुर की पुरानी नाच मंडली के नाटक दुबारा से मंच पर जीवंत हो उठे हैं। जैनेंद्र दोस्त की रंगमंचीय पढ़ाई हिंदी विश्वविद्यालय के थिएटर एंड फ़िल्म डिपार्टमेंट से हुई है। इन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) दिल्ली के आर्ट एंड एस्थैटिक्स विभाग में लौंडा नाच एवं भिखारी ठाकुर पर पीएचडी किया है। तथा भिखारी ठाकुर के रंगसंगी पद्मश्री रामचंद्र माँझी से भिखारी ठाकुर के रंगमंच की बारीकियों को सिखा। जैनेन्द्र ने अब तक 15 से अधिक नाटकों का निर्देशन किया है। इनके द्वारा निर्देशित नाटक एवं संगितिक कार्यक्रम न सिर्फ़ देश के प्रतिष्ठित रंग-महोत्सवों में बल्कि पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल एवं भूटान आदि देश के रंग-महोत्सवों में भी आमंत्रित एवं प्रदर्शित किए जा चुके हैं। हाल ही में जैनेंद्र दोस्त ने भिखारी ठाकुर के रंगकर्म पर ‘नाच भिखारी नाच’ नामक एक फ़िल्म बनाई है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिल रही है।
“भिखारी ठाकुर रंगमंडल” भिखारी ठाकुर के रंगमंच, गीत-संगीत एवं नृत्य प्रस्तुति के व्यवसायिक रंगमंडल के साथ-साथ उनकी रंग-परम्परा के प्रशिक्षण एवं शोध की संस्था है। भिखारी ठाकुर के सानिध्य में प्रशिक्षण प्राप्त एवं उनके दल में काम कर चुके सभी जीवित कलाकार आज इस रंगमंडल के अभिन्न अंग हैं। इस केंद्र ने भिखारी ठाकुर के रंगमंचीय परंपरा को सम्पूर्णता में पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है। वर्तमान समय में रंगमंडल के पास भिखारीनामा सहित बिदेसिया, गबरघिचोर, बेटीबेचवा, पिया निसइल, गंगा स्नान आदि नाटक तैयार है एवं अन्य नाटकों के निर्माण पर कार्य जारी है। इस रंगमंडल का मुख्य उद्देश्य है भिखारी ठाकुर की नाट्य-परंपरा को परफॉर्मेंस के द्वारा जीवित रखना तथा प्रशिक्षण के द्वारा उसे एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में हस्तांतरित करना है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम की दुसरी प्रस्तुति में पूर्बयन चटर्जी द्वारा सितार वादन प्रस्तुत किया गया जिसमें उन्होंने राग मनोरंजनी से कार्यक्रम की शुरुआत की और मध्य और द्रुत झप ताल में एक बंदियों से मंत्रमुग्ध करते रहे।
पूर्बयन चटर्जी एक भारतीय सितार वादक हैं जो पारंपरिक भारतीय शास्त्रीय संगीत को समकालीन विश्व संगीत शैलियों के साथ मिलाने के लिए जाने जाते हैं। पूर्बयन चटर्जी ने अपने पिता पार्थप्रतिम चटर्जी से सितार सीखा। पुरबायन का संगीत पं. निखिल बनर्जी की आवाज़ से प्रेरित है। उन्होंने एक एकल कलाकार के रूप में और शास्त्री सिंडिकेट और स्ट्रिंगस्ट्रक समूहों के एक भाग के रूप में प्रदर्शन किया है। वह एक गायक भी हैं और उन्होंने एल्बमों के लिए प्रदर्शन किया है। चटर्जी को 15 साल की उम्र में देश के सर्वश्रेष्ठ वाद्ययंत्र वादक होने के लिए भारत के राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें क्षेत्र में उत्कृष्टता और योगदान के लिए आदित्य विक्रम बिड़ला पुरस्कार भी मिला है। उन्हें 1995 में रोटरी इंटरनेशनल द्वारा रसोई पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है
पूर्बयन चटर्जी भारत के एक अत्यधिक सम्मानित और बहुमुखी सितार वादक हैं, जो अपने असाधारण कौशल और संगीत के प्रति नवीन दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। कई दशकों के करियर के साथ, उन्होंने पारंपरिक भारतीय शास्त्रीय संगीत को समकालीन प्रभावों के साथ सहजता से मिश्रित करते हुए, अपने मंत्रमुग्ध प्रदर्शन से दुनिया भर के दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया है। चटर्जी की अपने वाद्ययंत्र के बारे में गहरी समझ और अपनी भावपूर्ण धुनों के माध्यम से भावनाओं को जगाने की उनकी क्षमता ने उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में स्थापित किया है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम की तीसरी प्रस्तुति में राधिका चोपडा द्वारा गजल प्रस्तुत किया गया। जिसमें उन्होंने ग़ालिब, फ़ैज़ और इक़बाल जैसे मशहूर शोअरा की ग़ज़लें और कलाम पेश किये। ग़ालिब की एक खूबसूरत ग़ज़ल, “रोनों से और इश्क़ में बेबाक हो गए।“ राग नन्द में, फिर राग देस में अल्लामा इकबाल का कलाम, ’’तेरे इश्क की इंतिहा चाहता हूं..’’साहिर लुधियानवी का एक गाना, “तुम अपना रंज ग़म।“ मैं राग पहाड़ी, फिर अली अहमद जलीली की ग़ज़ल, “ख़ुशी में मुझको ठुकराया।“ राग मल्हार में और राग मालकौंस में एक खूबसूरत रचना और फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ साहब का कलाम, “राज़ ए उल्फत छुपा के देख लियाकृ“ राधिका जी के साथ सारंगी पर मुराद अली, तबले पर अमजद खान और हारमोनियम पर नफीस अहमद ने संगत की।
राधिका चोपड़ा भारत की एक प्रसिद्ध ग़ज़ल गायिका हैं। उन्होंने पं. जे.आर.शर्मा जी से संगीत सीखा है। उन्होंने हिंदुस्तानी संगीत में एमए पूरा किया और इसके लिए स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, मध्य पूर्व, दक्षिण अमेरिका और पूर्वी अफ्रीका में प्रदर्शन किया है। राधिका जी के पास व्यावसायिक और गैर-व्यावसायिक 11 स्व-रचित ग़ज़ल एल्बम हैं, जिनमें भारत और विदेश के 25 से अधिक समकालीन कवियों की रचनाएँ शामिल हैं। उनकी नवीनतम कृतियों में से एक है, जिसका शीर्षक है ’गज़ल की कहानी, मेरी ज़ुबानी।’
डॉ. चोपड़ा की उत्कृष्टता और मधुर आवाज, उनकी कुरकुरी और स्पष्ट आवाज़, हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं में उनकी त्रुटिहीन शैली के साथ मिलकर, उन्होंने दुनिया भर में समझदार श्रोता की प्रशंसा हासिल की है।
तबला वादक शुभ जी का जन्म एक संगीतकार घराने में हुआ था। वह तबला वादक श्री किशन महाराज के पोते हैं। उनके पिता श्री विजय शंकर एक प्रसिद्ध कथक नर्तक हैं, शुभ को संगीत उनके दोनों परिवारों से मिला है। बहुत छोटी उम्र से ही शुभ को अपने नाना पंडित किशन महाराज के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित किया गया था। वह श्री कंठे महाराज.की पारंपरिक पारिवारिक श्रृंखला में शामिल हो गए। सन 2000 में, 12 साल की उम्र में, शुभ ने एक उभरते हुए तबला वादक के रूप में अपना पहला तबला एकल प्रदर्शन दिया और बाद में उन्होंने प्रदर्शन के लिए पूरे भारत का दौरा भी किया। इसी के साथ उन्हें पद्म विभूषण पंडित के साथ जाने का अवसर भी मिला। शिव कुमार शर्मा और उस्ताद अमजद अली खान. उन्होंने सप्तक (अहमदाबाद), संकट मोचन महोत्सव (वाराणसी), गंगा महोत्सव (वाराणसी), बाबा हरिबल्लभ संगीत महासभा (जालंधर), स्पिक मैके (कोलकाता), और भातखंडे संगीत महाविद्यालय (लखनऊ) जैसे कई प्रतिष्ठित मंचों पर प्रदर्शन किया है।
27 अक्टूबर से 10 नवंबर 2023 तक चलने वाला यह फेस्टिवल लोगों के लिए एक ऐसा मंच है जहां वे शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य के जाने-माने उस्तादों द्वारा कला, संस्कृति और संगीत का बेहद करीब से अनुभव कर सकते हैं। इस फेस्टिवल में परफॉर्म करने के लिये नामचीन कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। इस फेस्टिवल में एक क्राफ्ट्स विलेज, क्विज़ीन स्टॉल्स, एक आर्ट फेयर, फोक म्यूजिक, बॉलीवुड-स्टाइल परफॉर्मेंसेस, हेरिटेज वॉक्स, आदि होंगे। यह फेस्टिवल देश भर के लोगों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और उसके महत्व के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करने का मौका देता है। फेस्टिवल का हर पहलू, जैसे कि आर्ट एक्जिबिशन, म्यूजिकल्स, फूड और हेरिटेज वॉक भारतीय धरोहर से जुड़े पारंपरिक मूल्यों को दर्शाता है।
रीच की स्थापना 1995 में देहरादून में हुई थी, तबसे रीच देहरादून में विरासत महोत्सव का आयोजन करते आ रहा है। उदेश बस यही है कि भारत की कला, संस्कृति और विरासत के मूल्यों को बचा के रखा जाए और इन सांस्कृतिक मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। विरासत महोत्सव कई ग्रामीण कलाओं को पुनर्जीवित करने में सहायक रहा है जो दर्शकों के कमी के कारण विलुप्त होने के कगार पर था। विरासत हमारे गांव की परंपरा, संगीत, नृत्य, शिल्प, पेंटिंग, मूर्तिकला, रंगमंच, कहानी सुनाना, पारंपरिक व्यंजन, आदि को सहेजने एवं आधुनिक जमाने के चलन में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इन्हीं वजह से हमारी शास्त्रीय और समकालीन कलाओं को पुणः पहचाना जाने लगा है।
विरासत 2023 आपको मंत्रमुग्ध करने और एक अविस्मरणीय संगीत और सांस्कृतिक यात्रा पर फिर से ले जाने का वादा करता है।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें – विकास कुमार- 8057409636